आखिर देश को दूसरी स्वदेशी कोरोना रोधी वैक्सीन मिल गई है। जानकारी के अनुसार, सरकारी विशेषज्ञ समिति की ओर से सिफारिश के बाद डीसीजीआई ने जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि पहली स्वदेशी वैक्सीन कोवाक्सिन के बाद यह दूसरी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है। इस वैक्सीन को 12 साल से ऊपर के लोगों को लगाई जा सकेगी। वैक्सीन को तीन खुराक में दिया जाएगा। सबसे खास बात यह है कि इस वक्त जहां दुनियाभर में आरएनए वैक्सीन की मौजूदगी सबसे ज्यादा है, वहीं जायडस कैडिला की जायकोव-डी वैक्सीन विश्व की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है।
डीसीजीआई ने आपातकालीन उपयोग के लिए दी अनुमति
बता दें कि कोविड-19 संबंधी सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) की एक विशेषज्ञ समिति ने जायकोव-डी को मंजूरी देने के जॉयडस कैडिला के आवेदन पर गुरुवार को विचार किया था। इसके बाद इसने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) को इसे आपात इस्तेमाल की इजाजत देने की सिफारिश की। डीसीजीआई ने इसे मंजूरी दे दी। गौरतलब है कि अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी जायडस कैंडिला ने एक जुलाई को अपनी वैक्सीन जायकोव-डी के आपातकालीन उपयोग के लिए DCGI से मंजूरी की मांग की थी।
यह निश्चित रूप से बड़ी कामयाबी है: प्रधानमंत्री मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत पूरी ताकत से कोविड-19 का मुकाबला कर रहा है। विश्व की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन जायकोव-डी को मंजूरी भारतीय वैज्ञानिकों के नवोन्मेष के प्रति उत्साह का उदाहरण है। यह निश्चित रूप से बड़ी कामयाबी है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, ‘जायकोव-डी देश में स्वीकृति छठी वैक्सीन है और दूसरी स्वदेशी वैक्सीन है। यह आत्मनिर्भर भारत व मेक इन इंडिया के विजन को पूरा करेगी।’
देश में 50 से ज्यादा केंद्रों पर वैक्सीन के परीक्षण का दावा
जायडस कैडिला ने दावा किया है कि उसने भारत में वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल किया है। उसने कहा कि 50 से ज्यादा केंद्रों पर इस वैक्सीन का परीक्षण किया गया। भारत में अब तक सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बॉयोटेक की कोवाक्सिन, रूस की स्पूतनिक-वी, अमेरिका की मॉडर्ना व जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिली है।
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