हम सभी की जिंदगी में भी इस खूबसूरत गाने की तरह एक ऐसा दौर आता है, जब हम जिंदगी की बदलती परिस्थितियों से हैरान हो जाते हैं। परिस्थिति विशेष में जिंदगी हमसे कुछ सवाल कर रही होती है और हम जवाबों को ढूंढने में असहाय महसूस करते हैं। उस वक्त हम एक अजीब—सी कशमकश में फंस जाते हैं कि किस तरफ जाएं? किस तरह से स्थिति को संभालें? कैसे सबकुछ ठीक करते हुए आगे बढ़ें?
यह एक ऐसा दौरा होता है, जहां सब बातें बेमानी लगने लगती हैं। परिस्थितियां इस कदर हावी होती हैं कि हम कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ महसूस कतरे हैं। लेकिन गहराई से सोचा जाए तो यही वह वक्त होता है, जब हम खुद के असल व्यक्तित्व को समझ पाते हैं। हम जान पाते हैं कि कठिन परिस्थितियों में हमारी मनोस्थिति क्या होती है और हमारे अंदर चीजों को संभालने की कितनी क्षमता है। अमूमन इस तरह की अनचाही परिस्थितियों में लोग खुद को हारा हुआ महसूस करते हैं। ना जाने कितने खयाल जहन में आते हैं। दिन उदास और रातें खौफजदा होती हैं। जब कुछ दिन, महीने और साल इस दौर में निकल जाते हैं तो धीरे—धीरे परिस्थितियां संभलने लगती हैं। पीछे मुड़कर देखने पर लगता है कि बेवजह जिंदगी को कोसा जा रहा था, यह तो हमारा इम्तिहान था, जो हमें इंसान के तौर पर मजबूत बना रहा था। जब फिर से नई खुशियां दस्तक देती हैं तो गम भरा वो दौर कुछ मिनटों में काफूर हो जाता है क्योंकि वह सदा के लिए था ही नहीं। वह तो बस, एक समय था, जो हमें जिंदगी को और करीब से समझाने के लिए आया था। यह दौर हमें और समझदार बना जाता है ताकि आने वाले दिनों में हम समझ सकें कि किस तरह चीजों को संभाला और सहेजा जाता है। परिपक्वता की ओर हम एक और कदम बढ़ा देते हैं और जिंदगी के पन्नों में नया अनुभव जुड़ जाता है।
जिंदगी हमेशा से खूबसूरत थी और हमेशा ऐसी ही रहेगी। बस, इसके उतार—चढ़ाव को बिना आपा खोए तसल्ली से समझने की जरूरत है…।