पिछले कुछ वर्षों से मलेशिया में रह रहे इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पर केंद्र सरकार ने पांच साल के लिए और प्रतिबंध बढ़ा दिया है। बता दें कि आईआरएफ पर यह कार्रवाई गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से की गई है। इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को भारत सरकार ने पहली बार साल 2016 में 17 नवंबर को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया था।
देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं आईआरएफ
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन उन गतिविधियों में शामिल है, जो देश की सुरक्षा के लिए बेहद हानिकारक हैं। इसके साथ ही यह संगठन शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को भी बिगाड़ सकता है। गृह मंत्रालय ने कहा कि इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही उसने यूएपीए के तहत आईआरएफ पर पूर्व में लगाए गए प्रतिबंध को और पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। साल 2014 में केंद्र की सत्ता में मोदी सरकार के आने के बाद देश की सुरक्षा को लेकर काफी सतर्कता देखी गई है। सरकार ने पिछले सात सालों में कई गैरकानूनी संगठनों की पहचान कर उन पर बैन लगाया है।
भाषणों के जरिए दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा दे रहा नाइक
गृह मंत्रालय ने कहा कि इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक द्वारा दिए गए बयान और उनके भाषण आपत्तिजनक हैं। नाइक अपने भाषणों के जरिए धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी और नफ़रत को बढ़ावा देने का काम कर रहा है। वह भारत और विदेशों में एक खास धर्म के युवाओं को आतंकवादी कृत्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है। मालूम हो कि नाइक के आपत्तिजनक भाषण और उसके फाउंडेशन पर प्रतिबंध होने के बावजूद देश में हजारों मुस्लिम युवा उसे फॉलो करते हैं। उससे प्रभावित युवा कल समाज के लिए खतरा हो सकते हैं।
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