पॉल्यूशन बढ़ रहा है… पॉल्शून बढ़ रहा है…यह बात आपने पिछले कुछ सालों में कई बार सुनी होगी। यह पॉल्यूशन सीधे तौर पर हमारी सेहत पर असर डाल रहा है, यह बात भी आपको पता होगी लेकिन अक्सर हम तब तक नहीं सोचते जब तक हमारे सिर पर नहीं आ जाती। यदि ऐसा है तो एक बार अपने लिए थोड़ा सोच लीजिए बढ़ता पॉल्यूशन सांसों के जरिए आपके आॅर्गन्स पर इफेक्ट डाल रहा है। यह ऐसी समस्या है जो धीरे धीरे आपके शरीर में घर कर रही है। पूरे देश में कल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा और इस बार की थीम है ‘वायु प्रदूषण’, तो आइए आपको बताते हैं कैसे यह वायु प्रदूषण आपके फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है।
चिकित्सकों के अनुसार पिछले कुछ समय में एयर पॉल्यूशन से होने वाली बीमारियों में काफी वृद्धि हुई है। पॉल्यूशन के कारण फेफड़ों के काम करने की क्षमता पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा सांस के मरीजो में पल्मोनरी हाइपरटेंशन बढ़ा है। काफी संख्या में सीओपीडी व अस्थमा के मरीज देखने को मिल रहे हैं। यहां तक की बच्चों में भी तेजी से यह बीमारी देखने को मिल रही है। हवा में पीएम-2.5 पीएम-10, एनओटू, एसओटू, सिलिकान कणों व मोनोआक्साइड से हर तीसरे बच्चे के फेफड़े पर संकट है। फेफड़े में रुकावट पर पल्मोनरी हाईपरटेंशन होता है।
दरअसल फेफड़े हवा से आक्सीजन खींचकर इसे रक्त में मिलाते हैं। अगर फेफड़े की बीमारी है तो इसकी धमनियों में प्रेशर बढ़ने से पल्मोनरी हाईपरटेंशन होता है। धूम्रपान करने वालों को यह बीमारी जल्द पकड़ती है।
यूं रख सकते हैं ध्यान
— अस्थमा, एलर्जी और ब्रॉन्काइटिस के मरीजों को पल्मोनरी हाइपरटेंशन का खतरा ज्यादा रहता है, ऐसे में उन्हें विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए।
— एयर पॉल्युशन से बचने के लिए मास्क का प्रयोग करें।
— धूम्रपान से दूर रहें।
— सांस लेने में तकलीफ हो या आवाज आए तो तुरंत दिखाएं।
— लम्बे समय तक खांसी रहे तो भी चिकित्सक से सम्पर्क करें।