Women’s Equality Day 2019: इन महिलाओं ने समाज को सिखाया समानता का पाठ

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26 अगस्त की तारीख यूं तो इतिहास में कई घटनाओं के लिए जानी जाती है। मगर इस दिन को हर साल महिला समानता दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। हमारे समाज में महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा दिलाने के लिए यह दिन महिला समानता दिवस के रुप में सेलिब्रेट किया जाता है। यह दिन कई मायनों में बेहद खास है। इसकी शुरुआत पहली बार साल 1973 में की गई थी तब से लगातार हर साल इस दिन को मनाया जाता है।

वुमन इक्वलिटी डे के मौके पर एक नजर डालते है उन महिलाओं पर जिन्होंने दुनिया के सामने देश का नाम रोशन किया। तो आइए एक नजर डालते हैं, इन शख्सियतों पर।

सरस्वती बाई फाल्के

देश में महिला समानता की मिसाल सबसे ज्यादा बॉलीवुड में देखने को मिलती है। हिंदी सिनेमा का एक किस्सा है जिसे बहुत कम लोग ही जानते है। आपको बता दें कि भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र थी जिसे दादा साहब फाल्के द्दारा बनाया गया था। मगर उस दौर में यदि उनकी पत्नी उनका साथ नहीं देती तो शायद ही राजा हरिश्चंद्र हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म बन पाती। दरअसल फिल्म के निर्माण में उनकी पत्नी का अहम योगदान रहा। फिल्म के लिए सरस्वती ने अपने गहने बेच दिए थे। साथ ही फिल्म निर्माण का अधिकतर भार उन्होंने अपने कंधो पर लिया। तब जाकर हिंदी सिनेमा को अपनी पहली फिल्म मिली।

अंशुला कांत

आपको जानकर हैरानी हो मगर आज महिलाएं दुनियाभर में कई शक्तिशाली पदों का भार अपने कंधों पर लिए हुए हैं। इन्ही में से एक है वर्ल्ड बैंक के वरिष्ठ पद चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर के पद पर कार्यरत भारतीय महिला अंशुला कांत। बैंकिग की दुनिया में करीब 35 साल का अनुभव रखने वाली अंशुला देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई की मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुकी हैं।

खेल के मैदान में महिलाओं ने रचा इतिहास

जहां एक तरफ दुनियाभर में महिला समानता दिवस का जश्न मनाया जा रहा है वहीं खिलाड़ी पी.वी सिंधु ने टेनिस खेल में इतिहास रच डाला है। पी.वी सिंधु ने एक बार फिर देश का नाम रोशन कर दिया है। बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप-2019 के फाइनल में पी.वी सिंधु ने नोजोमी ओकुहारा को हरा कर गोल्ड मेडल अपने नाम कर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। वे वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।

दिलचस्प बात ये है कि इस खिताब को अब तक भारत से किसी महिला और पुरुष वर्गों में कोई गोल्ड मेडल अपने नाम नहीं कर पाया है। खेल जगत में इतिहास रचने वाली महिला खिलाड़ियों की संख्या बहुत है। हालिया चर्चित चेहरों में शामिल है- हिमा दास जिन्होंने 19 दिनों में रेस में 5 गोल्ड मेडल अपने नाम करने में सफल रहीं। तो वहीं भारत की मोटरस्पोर्ट रेसर ऐश्वर्या पिस्सी ने इतिहास रच दिया। वे मोटरस्पोर्ट में वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली रेसर बन गई हैं। कर्नाटक राज्य के बेंगलुरू की रहने वाली ऐश्वर्या ने महिला वर्ग में एफआईएम विश्व कप ख़िताब जीता है।

अंतरिक्ष में भी बनाया दबदबा

ये कहना गलत नहीं होगा कि महिलाएं अब अपने अधिकारों को लेकर सजग हो गई हैं। वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगी है। अब वे जान गई हैं उनके योगदान के बिना समाज कुछ नहीं। आज हर क्षेत्र में महिलाओं का दबदबा कायम है। अंतरिक्ष में भी। आपको जानकर हैरानी होगी मगर चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट में दो महिला वैज्ञानिकों का अहम योगदान है। मंगल मिशन प्रोजेक्ट को कामयाब बनाने के पिछे भी 8 महिला वैज्ञानिकों का हाथ रहा है। एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी आफ इंडिया द्वारा दिए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक पुरस्कार को प्राप्त करने वाली मुथैया वनिता पहली महिला वैज्ञानिक हैं।

राजनीति में आकर विश्वस्तर पर बनाई पहचान

देश की राजनीति में भी महिलाएं अपनी भागीदारी दे रहीं है। कुछ दिनों पहले ही पंचतत्व में विलीन हुई बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हर महिला की प्रेरणास्रोत हैं। स्पेन सरकार द्दारा सुषमा को ‘ग्रांड क्रॉस ऑफ द आर्डर ऑफ सिविल मैरिट’ के पुरस्कार से सम्मानित किया था। निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी वे चर्चित नाम है जिन्होंने राजनीति के क्षेत्र में पुरुषों को बराबर टक्कर दी।

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