वीमन्स डे : प्लीज…चॉकलेट, फ्लावर्स, टेडी बियर नहीं चाहिए हमें

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वीमन्स डे, वीमन्स डे…अभी पिछले कुछ दिनों से आस पास यही शोर सुनाई दे रहा है। महिलाओं को सम्मानित करने वाले कार्यक्रम हो रहे हैं और कल बड़े स्तर पर बहुत सारे होंगे। महिलाओं को खास होने का अहसास दिलाया जाएगा और शाम होते होते फिर आम दुनिया में लौटना पड़ेगा। खास फील करवाने के लिए एक दिन की जरूरत क्यों है? खैर यह बहस हर बार होती है, हम इस पर बात नहीं करेंगे। हम बात करेंगे गिफ्ट की।

अब दिन बनाया है तो इसे स्पेशल बनाने के लिए गिफ्ट देना भी जरूरी है। हमेशा की तरह बाज़ारवाद फिर से दिन के मूल अर्थ पर हावी है और बाज़ार में तरह तरह के गिफ्ट नज़र आ रहे हैं। गिफ्ट की श्रेणी पर एक सामान्य नज़र डालें तो सबसे ज्यादा हिट हैं फूल, चॉकलेट्स और टेडी भाई साहब। एक आम अवधारणा है कि ये तीनों ही महिलाओं को बहुत अच्छे लगते हैं…हां, मान लिया अच्छे लगते हैं, लेकिन हर बार यह गिफ्ट नहीं चाहिए। अब, आप सोच रहे होंगे तो और क्या चाहिए? जरूरी नहीं हर बार गिफ्ट कोई मूर्त रूप में हो, आप चाहें तो ऐसा गिफ्ट दे सकते हैं, जो सच में महिलाओं के बहुत काम आ सकता है और उन्हें आगे ले जाने में सहायक हो सकता है। आइए आपको कुछ गिफ्ट सजेस्ट करते हैं, आपके बजट में हो तो दे दीजियेगा…।

मन की बात कह लेने दीजिए

आज भी घरों में महिलाओं की राय को उतनी तवज्जो नहीं दी जाती या सुन भी लिया जाता है तो उस पर गौर नहीं किया जाता। कम से कम अपने घर की महिलाओं को हर मुद्दे पर अपनी बात रखने की आज़ादी ही दे दीजिए। हो सके और आपका दिल कहे तो उनकी बात मान भी लीजिए।

चुनने दीजिए अपनी राह

कॅरियर की बात आते ही हर घर में लड़की के लिए वही चिर परिचित कॅरियर आॅप्शन होते हैं, जो उन्हें हमेशा सेफ रख सकें। समय बदल रहा है आप भी बदलिए, घर की लड़कियों को अपने हिसाब से कॅरियर चुनने दें, उठाने दीजिए जोखिम। कब तक सेफ जोन में रखेंगे।

बराबरी की सोच डवलप कर लीजिए

घर, दफ्तर या अन्य किसी भी जगह अब महिलाओं को बराबर रखने वाली सोच कम ही देखने को मिलती है। कार्यस्थल पर अक्सर महिलाओं को टैलेंट के मामले में कम ही आंका जाता है, सैलेरी की तो बात ही मत कीजिए। कुछ बड़ा मत करिए बस, इतना ही सोच लीजिए कि महिलाएं भी आपके साथ खड़ी हो सकती हैं।

समझने की कोशिश करिए

यदि आपने कभी महिलाओं की कॉमन समस्या पर गौर किया हो तो अक्सर महिलाएं यह कहती मिल जाएंगी कि उन्हें कोई समझता ही नहीं, ऐसा क्यों कहती हैं वो। दरअसल परिवार, घर, बाहर वह अक्सर इस बात को महसूस करती हैं कि उन्हें सही से समझा ही नहीं जा रहा। इस वीमन्स डे पर एक कोशिश कर लीजिए उन्हें समझने की।

अछूत का टैग आप ही हटवा सकते हैं

आपने कभी गौर किया क्यों आपकी बीवी, बहन या बेटी महीने में चार—पांच दिन किचन में नहीं जा पाती, मटके से पानी नहीं पी पाती, अलग बिस्तर पर सोती है…आपने गौर किया है, लेकिन आप इस बारे में बोलना नहीं चाहते। यकीन मानिए आप ही वे शख्स हैं जो इस सोच को बदल सकते हैं। एक बार यह गिफ्ट देकर तो देखिए।

तेरी…   भी तो आप ही देते हैं

एक गिफ्ट जरूर देने की कोशिश करिएगा। जो आप गुस्से में आकर मम्मी जी और बहन जी के नाम से बोलते हैं, उस पर लगाम लगाइए। क्यों हर बात पर उन्हें घसीटते हैं, सालों से घसीट रहे हैं, अब तो रूक जाइए…।

ज़रा नज़रों से कह दो जी…

आप मानें या ना मानें, अक्सर आपका निशाना चूकता है। कभी सीना चौड़ा करके देखते हैं तो कभी नज़रें चुराकर। कपड़ों के अंदर तक झांकने की आपकी आदत जा ही नहीं पा रही। शिक्षा को दोष देना हर बार सही नहीं है, आपने खुद भी कहां कभी कोशिश की। नज़रें बेईमान होने से रोकिए, खूबसूरती की कद्र करिए।

ओह, गिफ्ट की लिस्ट तो लम्बी हो गई, अभी तो और गिफ्ट बाकी हैं, लेकिन एक बार में इतना मांगना भी सही नहीं। इस वीमन्स डे पर इनमें से कुछ गिफ्ट करिए, बाकी अगले वीमन्स डे पर सोचेंगे।

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