स्वाभिमान से जीने के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहना होगा

Views : 4449  |  0 minutes read

सोसायटी में महिलाओं को समान दर्जा देने के लिए हर साल 26 अगस्त को वूमेन इक्विलिटी डे मनाया जाता है। 1973 से शुरु हुई इस मुहिम के बावजूद आज के दौर में कई महिलाएं है जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहीं है। आए दिन अखबारों की बनी सुर्खियां ये बार बार एहसास कराती है कि पुरुष प्रधान इस देश में ना जाने और कितने साल बीत जाएंगे महिलाओं को समान दर्जा हासिल करने में।

एक महिला होना आसान नहीं है। इस समाज में आपको अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहना होगा। आपको दुनिया को बताना होगा कि आप कम नहीं हैं।

आज भी रुढ़िवादी परिवारों में महिलाएं अपने आधिकारों के लिए हर दिन लड़ती हैं। आज के दौर में भी लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता नहीं है। जहां लड़के बेझिझक इस समाज में अपनी पसंद-नापसंद जाहिर करते है वहीं इसके इत्तर लड़कियों को उनके जीवनसाथी को लेकर खुलकर बात तक नहीं की जाती।

लड़कियों को उनके कपड़ों के कारण आज भी ये समाज हीन भावना से देखता है। कपड़ों को लेकर वे अक्सर सोसायटी के निशाने पर बनी रहती हैं। आज भी देशभर में ऐसे कई इलाकें है जहां लड़कियों को अपना पूरा शरीर ढककर बाहर निकलना होता है।

ये वही समाज है जहां एक तरफ महिलाएं कई ऐतिहासिक उपलब्धियां अपने नाम कर रहीं है तो वहीं दूसरी तरफ देश के कई ऐसे इलाके भी है जहां लड़कियों के घर से निकलने पर पाबंदी है। उनके मुताबिक लड़कियों का घर में रहना ज्यादा महफूज है। ऐसे में ये रुढ़िवादी सोच लड़कियों को समाज में समानता का अधिकार नहीं देने देता।

लड़कियों को आज भी अपने करियर चुनने की आजादी नहीं है। उनके भविष्य को लेकर समाज में एक ही धारणा बनी हुई है वो ये कि कितना ही पढ़ लिख जाए इन्हें आखिरकार संभालना तो घर गृहस्थी ही है। नतीजा ऐसी सोच के चलते कुछ पढ़ाई लिखाई नहीं कराते तो कुछ बीच में ही पढ़ाई छुड़ाकर शादी कर देते है बिना ये जानें कि उनकी बेटी के भी कुछ अरमान है जिन्हें वो पूरा करना चाहती है।

COMMENT