जैसा कि आप जानते हैं कि मसूद अजहर भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव का केंद्र है। कई तरीके की असत्यापित रिपोर्ट मीडिया में फैल रही हैं कि मसूद अजहर मर गया है या वो बीमार है। खैर उसका मरना या जीना किसी समस्या का सामाधान नहीं है।
निश्चित रूप से उसकी मृत्यु उसके आतंकी संगठन के मनोबल को प्रभावित करेगी लेकिन यह भी देखना होगा कि उसके परिवार के अधिकांश सदस्य भी जैश का हिस्सा हैं और उसकी मौत के बाद भी संगठन जारी ही रहेगा।
लेकिन ये सभी अटकलें ऐसे समय में आईं जब फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने नए सिरे से मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकवादी के रूप में लिस्ट करने के लिए एक नए प्रस्ताव को दायर किया जो प्रभावी रूप से उसकी सभी संपत्तियों को फ्रीज कर देगा और आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए उसके पास पैसा नहीं बचेगा।
लेकिन क्या चीन भारत के रास्ते में खड़ा रहेगा और मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकवादी के रूप में नामित होने से रोकेगा?
भारत लंबे समय से इस तथ्य के बारे में शिकायत कर रहा है कि अजहर पाकिस्तान में बिना किसी नाम के बैठा है। भारत कहता आया है कि इस्लामाबाद अपनी धरती पर जैश की गतिविधियों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करे।
भारत के पास शिकायत करने के लिए कई कारण हैं जिसमें जैश ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है। इसके भारतीय संसद पर 2001 का आतंकवादी हमला, 2016 का पठानकोट आतंकी हमला और 2016 का उरी आतंकी हमलों में भी इसी संगठन का नाम था।
फिर भी, चीन ने यूएनएससी में बार-बार इस प्रस्ताव को वीटो किया है। भारत ने पहली बार 2009 में और फिर 2016 में भी इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया था। फिर 2017 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के तीन स्थायी वीटो-फील्डिंग राष्ट्रों ने एक समान प्रस्ताव रखा। चीन एक स्थायी सदस्य है और इन सभी प्रस्तावों को लगातार रोकने की कोशिश की है।
लेकिन इस बार की चीजें थोड़ी अलग हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने भी इसके बारे में कहा। सीएनएन के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने स्वीकार किया कि जैश पाकिस्तान में स्थित है और यह भी कहा कि मसूद अजहर इतना बीमार है कि चल फिर भी नहीं रहा है और कुछ दिनों बाद, बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सरकार जैश के संपर्क में थी।
कुरैशी की टिप्पणियों के अलावा अगर हम पूरे मुद्दे पर चीन की प्रतिक्रिया को देखें तो यह थोड़ा संयमित रहा है।
लेकिन जहां तक मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकवादी के रूप में लिस्ट करने की बात है, क्या कोई उम्मीद है कि चीन इस रास्ते पर फिर से नहीं आएगा? इस पर कई विद्वानों का कहना है कि जैश ने पहले भी हमलों का दावा किया था लेकिन इस बार बड़ा अंतर यह है कि पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि जैश पाकिस्तान में स्थित है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया इस बार वास्तव में मजबूत रही है और चीन की प्रतिक्रिया भी मौन रही है। चीन ने उस तरह का समर्थन व्यक्त नहीं किया, जो पाकिस्तान चाह रहा था।
चीन निश्चित रूप से यूएनएससी प्रस्ताव को विफल करने की कोशिश कर सकता है और अगर ऐसा वो करता है तो वह अकेला ही ऐसा देश होगा जिसके बाद चीन को आतंकवाद का समर्थन करने वाले देश के रूप में देखा जा सकता है।
यूएनएससी के पास इस मामले पर निर्णय लेने के लिए 10 दिन हैं और इस बीच, भारत ने गैर-स्थायी सहित सभी यूएनएससी सदस्यों के लिए जेएम और उसके प्रमुख की गतिविधियों पर सबूत पेश किए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में इसका पता चल ही जाएगा।