एक ऐसी दुनिया जहां हम किसी भी अनजान भाषा को समझने के लिए Google का इस्तेमाल कर लेते हैं क्या अब दूसरी भाषाओं का ज्ञान होना उतना जरूरी रहा है?
पोलिश में जन्मे, ब्रिटेन स्थित विज्ञान लेखक मारेक कोन का तर्क है कि विभाजित दुनिया में बहुत सारी भाषा का उपयोग और भी महत्वपूर्ण हो गया है और यह हमें एक दूसरे को बेहतर समझने में मदद करता है।
कोहन ने अपनी नई किताब “फोर वर्ड्स फॉर फ्रेंड्स: व्हाईट मोर वन लैंग्वेज मैटर्स अबाउट मोर एवर” में कहा है कि बहुत सारी भाषाओं का ज्ञान रखना समुदायों के भीतर या अलग-अलग दिमागों के बीच संदेह को विश्वास में और प्रतिस्पर्धा को साथ में बदल सकता है।
कोन मनोविज्ञान, विकासवादी विचार, राजनीति और साहित्य के दृष्टिकोण से अपने तर्क देते हैं। वह इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि लोग भाषा कैसे हासिल करते हैं वे उन्हें कैसे खो देते हैं वे उन्हें कैसे वापस पा सकते हैं और विभिन्न भाषाएं एक-दूसरे के साथ लोगों के संबंधों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।
एक शोध के अनुसार बहुत सी भाषाओं का ज्ञान रखना दिमाग के उस हिस्से को बढ़ाता है जो एक फोकस एरिया पर ध्यान केंद्रित करता है साथ ही अनवाइस या कमजोर इमपल्स को कम करता है।
आगे इसमें बताया गया है कि जब एक मस्तिष्क में दो भाषाएं होती हैं तो सिस्टम किसी एक भाषा का उपयोग करना चाहिए और दूसरी को पहली के ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए।
किताब तो खैर पढ़ी जा सकती है लेकिन जो समझने वाली बात है वो यही है कि गूगल अपनी जगह पर है लेकिन भाषाओं का ज्ञान रखना अभी भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यह संबंधों को बेहतर बनाता है।