अगर आप से कहें कि क्रिकेट विश्व कप के विजेता टीम को नकली ट्रॉफी दी जाती है, तो आपको सुनकर कैसा लगेगा। शायद बहुत बुरा, क्योंकि जिस ट्रॉफी को पाने के लिए हर देश के खिलाड़ी खूब पसीना बहाते हैं, उन्हें ईनाम के तौर पर एक नकली ट्रॉफी दी जाए! दसअसल बात यह है कि क्रिकेट विश्व कप की मूल ट्रॉफी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के पास ही रहती है और पुरस्कार में उसका प्रतिरूप दिया जाता है।
असली ट्रॉफी गैरार्ड एंड कंपनी द्वारा तैयार की गई थी
क्रिकेट विश्व कप की ट्रॉफी लंदन स्थित गैरार्ड एंड कंपनी (क्राउन ज्वेलर्स) के कारीगरों की अनुभवी टीम द्वारा डिजाइन की गई थी। इस ट्रॉफी को बनाने के लिए दो महीने का समय लगा था।
ट्रॉफी का हर हिस्सा कारीगर अपने हाथ से बनाते हैं। पहले कारीगर ट्रॉफी का डिजाइन तैयार करते हैं, फिर तैयार डिजाइन को कंप्यूटर से स्कैन कर मजबूत संरचना चित्र तैयार करते हैं। इसके बाद ट्रॉफी के हर पार्ट को बेहद सलीके से बनाते हैं। अगर किसी पार्ट में स्क्रैच भी आ जाता है, तो उसे दोबारा बनाया जाता है। ट्रॉफी के सारे भाग बनने के बाद किसी अनुभवी नक्काश को नक्काशी का काम सौंपा जाता है।
वर्तमान समय में जो ट्रॉफी विजेता को दी जाती है, उसे सोने और चांदी से बनाया जाता है। इस ट्रॉफी में एक सोने की गेंद को तीन चांदी के स्तम्भों के ऊपर रखा जाता है। इस ट्रॉफी का वजन लगभग 11 किलोग्राम और ऊंचाई 60 सेंटीमीटर होती है।
जयपुर में भी बन चुकी क्रिकेट विश्व कप ट्रॉफी
आईसीसी क्रिकेट विश्व कप की ट्रॉफी को बनाने का गौरव राजस्थान की राजधानी जयपुर को भी मिल चुका है। सन 1987 के विश्व कप का प्रायोजक रिलायंस था। इस ट्रॉफी का निर्माण जयपुर में किया गया था। यह दुनिया की सबसे महंगी सोने की ट्रॉफी मानी जाती है।
क्रिकेट विश्व कप के शुरू से अब तक ऐसे बदला ट्रॉफी का डिजाइन
आईसीसी क्रिकेट विश्व कप का आयोजन करती है और विश्व कप की मूल ट्रॉफी उसके पास ही रहती है। शुरुआत के तीन विश्व कप (1975,1979,1983) में विजेता टीम को एक ही प्रकार से डिजाइन की गई ट्रॉफी दी थी। इन तीनों ही विश्व कप टूर्नामेंट्स का मुख्य प्रायोजक प्रुडेंशियल पीएलसी था, इसी कारण ट्रॉफी के मूल डिजाइन में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया।
बाद में तीन विश्व कप (1986,1992,1996) के प्रायोजक बदले तो ट्रॉफी के डिजाइन में भी बदलाव किया गया।
आईसीसी ने 1999 विश्व कप में पहली बार विजेता टीम को अपनी ट्रॉफी दी और तब से यह चलन जारी है।
30 मई को इंग्लैण्ड में शुरू होने जा रहे क्रिकेट विश्व कप का फाइनल मुकाबला 14 जुलाई को लंदन के ऐतिहासिक लॉडर्स मैदान पर खेला जाएगा, लेकिन फिर एक बार विजेता टीम को विश्व कप की असली ट्रॉफी नहीं, बल्कि उसका प्रतिरूप ही दिया जाएगा। ऐसा पहली बार नहीं होगा, बल्कि हर बार ऐसा ही होता आया है।