अपनों को घर के आंगन में दफना कर उनकी कब्र पर सोते हैं यहां लोग, आखिर क्यों ?

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जब आपको पता लगे कि आप जिस जगह बैठे हो वहां किसी की दादी की कब्र है, या जहां बैठकर आप खाना खा रहे हैं वहां किसी के पिता को दफनाया गया था। यह सुनना ही किसी के लिए भयावह हो सकता है तो जहां ऐसा हो रहा है उन लोगों की स्थिति का अंदाजा आप लगा सकते हैं या नहीं ? पता नहीं।

आगरा के अछनेरा ब्‍लॉक के गांव छह पोखर में कुछ मकान कब्रिस्तान में बदल गए हैं, क्योंकि गांव में रहने वालों के पास दफनाने के लिए जमीन नहीं है, लिहाजा वो अपने घरों में ही मृतकों को दफनाने को मजबूर हैं।

हालात ऐसे हैं कि महिलाएं जहां खाना पका रही है, वहीं उनके बच्चों को दफनाया गया था। घरों में जगह की कमी होने के कारण, लोगों को कब्रों पर बैठना और चलना पड़ता है, जो कि बहुत अपमानजनक है।

अधिकतर परिवार हैं गरीब और भूमिहीन

इस गांव में रहने वाले अधिकांश परिवारों में ज्यादातर मुस्लिम और गरीब भूमिहीन लोग हैं। यहां के पुरुष ठेका मजदूरी करते हैं। हालांकि यहां के लोग सालों से कब्रिस्तान के लिए जमीन की मांग कर रहे हैं।

बहरा प्रशासन

प्रशासन कितना उदासीन और बहरा है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ साल पहले सरकार ने कब्रिस्तान के लिए एक जमीन का टुकड़ा आवंटित किया जो कि एक तालाब के बीचों—बीच है।

लोगों ने सरकार से परेशान होकर आखिरकार अपने घरों में ही अपने प्रियजनों को दफनाना शुरू कर दिया और अब वो कब्र को सीमेंट से पक्का भी नहीं करते क्योंकि उनका मानना है कि इससे वो ज्यादा जगह घेरती है।

इस मुद्दे को लेकर गांव के लोगों ने कई विरोध प्रदर्शन किए। 2017 में, यहां के रहने वाले मंगल खान की मौत के बाद उनके परिवार ने उनके शरीर को दफनाने से इनकार कर दिया और गांव में एक कब्रिस्तान के लिए जमीन की मांग की। अधिकारियों द्वारा आश्वासन के बाद, उन्होंने खान को तालाब के पास दफनाया।

ग्राम प्रधान सुंदर कुमार का भी इस मामले पर कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों से मुस्लिम परिवारों के लिए दफनाने के लिए जमीन देने को कहा लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

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