Google जैसी दिग्गज कंपनी में भी है सैलरी को लेकर असमानता !

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जब भी कोई वर्कप्लेस पर महिला और पुरूषों के बीच भेदभाव की बात करता हैं तो हमें लगता है वह व्यक्ति उन महिलाओं के बारे में ही बात कर रहा होगा जिन्हें आमतौर पर पुरुषों की तुलना में कम सैलरी दी जाती है या उनको वर्कप्लेस पर कम आंका जाता है। लेकिन हाल में जब Google ने सैलरी को लेकर एक एनालिसिस किया तो कुछ अप्रत्याशित नतीजे सामने आए। नतीजों में पाया गया कि एक तबका अंडरपैड है लेकिन यह वो नहीं था जिसे हर कोई मानता है!

दिग्गज कंपनी अपने सभी कर्मचारियों में उनके जेंडर की परवाह किए बिना भुगतान करने की अपनी प्रतिबद्धता पर खरा उतरने के लिए हर साल सलाना इक्विटी-वेज एनालिसिस करती है।

2018 में, 91 प्रतिशत Google कर्मचारियों को इसमें शामिल किया गया और कंपनी ने 10,677 कर्मचारियों को 9.7 मिलियन डॉलर दिए। दिलचस्प बात यह है जो न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट से पता चलती है कि जिन कर्मचारियों की सैलरी एडजस्ट की गई थी यानि जो अंडरपैड थे उनमें अधिकांश पुरुष ही थे।

2018 के इस एनालिसिस के नतीजों के आधार पर पता चलता है कि पुरुष कर्मचारी को अपने साथ की महिला कर्मचारियों की तुलना में बहुत कम मेहनताना मिलता है। कंपनी ने नतीजों को देखने के बाद अब अपनी मानव संसाधन पॉलिसी में बदलाव करने का फैसला किया है।

कंपनी का इस बारे में कहना है कि हम हर कर्मचारी को समान स्तर पर, समान वेतन देने की कोशिश करते हैं। लेकिन फिर भी हम प्रमोशन, रेटिंग इन सब के आधार पर यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी कर्मचारियों को उचित और न्यायसंगत वेतन मिले।

यह देखना काफी उत्साहजनक है कि कैसे एक कंपनी, जिसने महिलाओं के मामले में सैलरी को लेकर होने वाले भेदभाव के कई दावों का सामना किया है, वो ही अब इस भेदभाव को खत्म करने की पूरी कोशिश कर रही है।

हालांकि, ब्रिटेन स्थित इवेंट कंपनी वाइल्डगोज द्वारा किए गए एक अन्य सर्वे के अनुसार, सैलरी को लेकर पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा चिंतित रहती है। वहीं वर्ल्ड बैंक के मुताबिक वर्कप्लेस पर सैलरी के मसले पर लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए दुनिया में 160.2 ट्रिलियन डॉलर खर्च हो जाते हैं।

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