तो इस वजह से हार्दिक पटेल नहीं लड़ पाएंगे लोकसभा चुनाव!

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लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले कांग्रेस में शामिल हुए नेता हार्दिक पटेल को एक बड़ा झटका लगा है। गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मेहसाणा दंगा मामले में दोषी ठहराए जाने पर उनकी याचिका को खारिज कर दिया। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, हार्दिक पटेल अपनी सजा के कारण आगामी आम चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

न्यायमूर्ति उरासी की अदालत ने देखा कि कांग्रेस नेता पर कई आपराधिक मामले थे और 17 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। न्यायाधीश ने उनकी याचिका को खारिज करने से पहले विभिन्न अदालतों में आवेदक के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या को भी ध्यान में रखा।

मेहसाणा पाटीदार आंदोलन का सबसे बड़ा एरिया था और शुरुआत भी यहीं से यानि विसनगर की सभा से हुई। भीड़ शांत नहीं हो पा रही थी और इसके बाद वहां के भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ की गई थी। ध्यान रहे कि कोर्ट ने इस मामले में हार्दिक पटेल, लालजी पटेल और एके पटेल को जुलाई 2018 में सेशन कोर्ट ने को दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसी मामले में 14 आरोपियों को बरी कर दिया गया था। हालांकि, बाद में कोर्ट ने सभी दोषियों को जमानत दे दी।

जुलाई 2018 में, विसनगर की सत्र अदालत ने 2015 के पाटीदार कोटे की हलचल के दौरान विसनगर शहर में पटेल को दंगे और आगजनी के लिए दो साल की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दी और अगस्त 2018 में उनकी सजा को निलंबित कर दिया लेकिन उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई गई। पटेल कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल हैं।

सरकारी वकील मितेश अमीन ने अदालत से कहा था कि पटेल करीब 17 मुकदमों का सामना कर रहे हैं, जिससे पता चलता है कि उनका चरित्र ठीक नहीं है।
आपको बता दें कि जुलाई 2015 को पाटीदार आंदोलन के वक्त मेहसाणा में दंगा हुआ था, इस मामले में कोर्ट ने हार्दिक को 2 साल की सजा सुनाई। ये आंदोलन दरअसल आरक्षण को लेकर किया जा रहा था। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के मुताबिक, सजायाफ्ता चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

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