एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर क्यों बिना किसी विरोध के रीलीज होनी चाहिए?

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the accidental prime minister

फिल्म एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर को लेकर फिलहाल विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ ही दिन पहले इस फिल्म का ट्रेलर लांच किया गया था। फिल्म में अनुपम खेर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का किरदार निभा रहे हैं।

ट्रेलर लांच होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इसका प्रमोशन शुरू कर दिया है और साथ ही ट्वीट किया कि फिल्म एक परिवार देश पर कैसे राज करता है इसके बारे में दिलचस्प कहानी है। यह फिल्म 2004 से 2014 तक भारत के प्रधान मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान सेट की गई है।

संयोग से फिल्म में मुख्य कलाकार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा पार्टी से जुड़े हुए हैं। मनमोहन सिंह की भूमिका निभाने वाले अनुपम खेर भाजपा सांसद किरण खेर के पति हैं। 2004 से 2008 तक मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रह चुके संजय बारू की भूमिका अक्षय खन्ना निभा रहे हैं। अक्षय खन्ना के पिता भाजपा से सांसद रह चुके हैं।

आपको बता दें कि फिल्म संजय बारू द्वारा किताब ‘दी एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ पर आधारित बताई जा रही है। ट्रेलर को लेकर जहां कांग्रेस में गुस्सा दिखाई दे रहा है वहीं बीजेपी इस फिल्म को काफी एन्जॉय करने वाली है।

राजनीतिक पार्टियों में जो कुछ भी चल रहा हो वो इस मामले में मायने रखता भी हो तब भी कांग्रेस को फिल्म का विरोध नहीं करना चाहिए। साफ है चाहे जितने भी कनेक्शन बीजेपी के इस फिल्म के साथ मिल जाएं, फिल्म फिल्म है वो रिएलिटी नहीं है। अभिव्यक्ति की आजादी की बात करें तो फिल्म को रिलीज होना ही चाहिए।

इससे पहले सेकरेड गेम्स में नवाजुद्दीन के एक डायलोग को लेकर कांग्रेस में खेमे में विवाद हुआ था जिसमें राजीव गांधी को लेकर कटाक्ष किया गया था। उस वक्त राहुल गांधी अभिव्यक्ति की आजादी के साथ खड़े हुए तो अब भी उन्हें ऐसा ही करना चाहिए।

जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात आती है तो कांग्रेस इतिहास के तले दबी नजर आती है। आपातकाल के दौरान अन्य बातों के अलावा इसने ‘आंधी’ पर प्रतिबंध लगा दिया जो जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद ही रिलीज़ हो पाई और उस समय किस्सा कुर्सी का पूरी तरह से मिटा दिया। कांग्रेस ने किशोर कुमार को रेडियो और टीवी पर चुप करा दिया और सोनल मानसिंह को ब्लैकलिस्ट कर दिया। राहुल गांधी ने जो सेकरेड गेम्स के वक्त किया था वही दोबारा करने की जरूरत है। फिल्म का विरोध कांग्रेस को दक्षिणपंथ की ओर धकेलेगी और इसके अलावा कुछ नहीं।

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