आंध्रप्रदेश में नायडू और जगन रेड्डी में कौन मुस्लिम वोटों को अपनी ओर खींच पाएगा?

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कुरनूल में रिसालदार मस्जिद के बाहर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के दो कार्यकर्ता पंफलेट और एक तख्ती लेकर पहुंचे थे और शुक्रवार की नमाज अदा करने के बाद मस्जिद से बाहर आने वाले लोगों को पार्टी का पर्चा बांटना शुरू कर दिया।

एसडीपीआई ने कुरनूल में उम्मीदवार खड़ा किया है लेकिन दोनों का कहना है कि समुदाय वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) का समर्थन करने के मूड में है क्योंकि जगन मोहन रेड्डी ने कुरनूल विधानसभा सीट से मुस्लिम उम्मीदवार हफीज खान को मैदान में उतारा है।

हफीज खान राज्यसभा सांसद टी जी वेंकटेश के पुत्र टीडीपी के टी जी भरत से टक्कर ले रहे हैं जो पूर्व में दो बार विधायक रहे हैं।  एसडीपीआई का वार्ड सदस्य सलीम ने स्वीकार किया कि यदि आप पुराने शहर में जाते हैं, तो मूड वाईएसआरसीपी के पक्ष में है। यदि आप नए शहर में जाते हैं, तो टीडीपी आगे है। लंबे समय के बाद, मुख्यधारा की पार्टियों में से एक ने अल्पसंख्यक को टिकट दिया है। इसलिए भावना यह है कि हमें उन्हीं को चुनना चाहिए।

प्रकाशम जिले के एक विधानसभा क्षेत्र अडांकी में मूड अलग है। बढ़ई मस्तान अली का कहना है कि वह टीडीपी को वोट देंगे। 60 के दशक में, अली एन टी रामा राव की टीडीपी सरकार द्वारा दशकों पहले शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं के बारे में वो बता रहे थे।

आगे मस्तान अली ने कहा कि उनके कई रिश्तेदार और परिचित वाईएसआरसीपी को वोट दे सकते हैं। लोगों को लगता है कि जगन रेड्डी को भी मौका दिया जाना चाहिए पता नहीं क्या होगा। (वाईएस) राजशेखर रेड्डी ने कुछ अच्छे काम किए थे। अनंतपुर में एक टीवी मैकेनिक चंद भाशा कहते हैं कि लोग अभी भी उनकी आरोग्यश्री (स्वास्थ्य बीमा योजना), आवास योजनाओं … 4 प्रतिशत आरक्षण जैसी योजनाओं को याद करते हैं।

रायलसीमा में गुंटूर, प्रकाशम और अनातपुर जिलों से यह स्पष्ट हो जाता है कि आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के भाजपा पर तीखे हमलों और इस चुनाव को नायडू बनाम मोदी के रूप में चुनने की उनकी कोशिश के बावजूद वे मुस्लिम वोट को रिझाने में सफल नहीं हो सके हैं।

2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में मुसलमानों की आबादी लगभग 8.5 प्रतिशत है। केंद्रीय आंकड़ों के अनुसार इस समुदाय की आबादी छह जिलों – कृष्णा, गुंटूर, नेल्लोर, कडप्पा, कुरनूल, अनंतपुर, प्रकाशम और चित्तूर में लगभग 10 प्रतिशत है।

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि राज्य के रायलसीमा क्षेत्र में 13 विधानसभा क्षेत्रों में मुसलमान 25 प्रतिशत या उससे अधिक हैं। वाईएसआरसीपी ने इन 13 में से नौ सीटें जीती थीं। टीडीपी ने 4 जीते थे। सात और सीटों में मुस्लिम आबादी काफी है।

जिसमें गुंटूर में ताड़ीकोंडा सीट, नेल्लोर में उदयगिरी, चित्तूर में पिलरु और कुरनूल में नंदिकोटकुर, आत्ममाकुर, श्रीसैलम और अल्लागड्डा सीटें विशेष हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट का एक बड़ा हिस्सा पिछली बार वाईएसआरसीपी में चला गया था क्योंकि नायडू ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। उन्होंने पिछले साल भाजपा से नाता तोड़ लिया।

तो क्या नायडू ने मुस्लिम वोटों को वापिस आकर्षित किया है? शुक्रवार को कुरनूल के अलुरु में एक रैली को संबोधित करते हुए, नायडू ने घोषणा की कि अगर टीडीपी को सत्ता में वापस कर दिया गया तो वह मुस्लिम डिप्टी सीएम बनाएंगे। उन्होंने विशेष रूप से मुसलमानों के लिए एक इस्लामिक बैंक खोलने और ब्याज मुक्त लोन की पेशकश करने का भी वादा किया।

कई लोगों का मानना है कि कापू समुदाय और पिछड़े वर्ग के एक व्यक्ति को डिप्टी सीएम पद देने का उनका वादा 2014 के विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हुआ। और उसने अपना वादा निभाया। मुस्लिम वोट टीडीपी और वाईएसआरसीपी दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।

दिलचस्प बात यह है कि नायडू ने फारूक अब्दुल्ला को रायलसीमा में प्रचार करने के लिए बुलाया था। और अपने भाषणों में, अब्दुल्ला ने जगन पर हमला किया था, उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने कांग्रेस को 1,500 करोड़ रुपये की पेशकश की, ताकि वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बन सकें।

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