बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त ने अपनी आने वाली नई फिल्म ‘पानीपत’ का फर्स्ट लुक शेयर किया है। इस पोस्टर से साफ जाहिर हो रहा है कि वह अहमद शाह अब्दाली के रोल में नजर आने वाले हैं। इस फिल्म को आशुतोष गोवारिकर निर्देशित कर रहे हैं। संजय दत्त के अलावा इस फिल्म में अर्जुन कपूर और कृति सेनन भी मुख्य भूमिका में हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर फिल्में बनाने वाले आशुतोष ने लगान और जोधा अकबर जैसी बेहतरीन फिल्में बनाई हैं।
पानीपत के इस लुक को शेयर करते हुए संजय दत्त ने लिखा है, ‘ अहमद शाह अब्दाली: जहां उसका साया पड़ता है, वहीं मौत चली आती है।’ बेशक उनके ये शब्द यही दर्शा रहे है कि उनका रोल बेहद रौद्र रूप वाला होगा।
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इस फिल्म में जीनत अमान होशियारगंज की सकीना बेगम का रोल करती नजर आएंगी, वहीं अर्जुन कपूर पेशवा के रोल में। हिंदी साहित्यकार अशोक चक्रधर ने ‘पानीपत’ फिल्म के डायलॉग्स लिखे हैं। फिल्म 6 दिसंबर को रिलीज होगी।
आपको बता दें कि यह फिल्म भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध पानीपत की तीसरी लड़ाई पर आधारित है। यह युद्ध 14 जनवरी, 1761 को मराठों और अहमद शाह अब्दाली के मध्य लड़ा गया जिसमें अब्दाली की विजय हुई थी।
कौन था अहमद शाह अब्दाली?
अब्दाली को दुर्रानी साम्राज्य और आधुनिक अफगानिस्तान का संस्थापक था। अहमद शाह की शुरूआत अफशरीद साम्राज्य की सेना में एक सैनिक के रूप में हुई थी। वह जल्द ही चार हजार अब्दाली पश्तून सैनिकों की एक टुकड़ी अब्दाली रेजिमेंट का कमांडर बन गया।
अहमद शाह का जन्म 1722 में हेरात (वर्तमान अफ़गानिस्तान) में हुआ था। उसके पिता का नाम मोहम्मद जमान खान था, जो अब्दाली जनजाति के मुखिया थे। उनकी माता हेरात के गवर्नर खालू खान अलकजाई की बेटी जरगुन बेगम थी। वर्ष 1747 में नादर शाह अफशर की मौत के बाद अहमद शाह अब्दाली को अफगानिस्तान का राजा चुना गया। उसने अपने अफगान कबीलों और सहयोगियों को एकजुट करके पूर्व में मुगल और मराठा साम्राज्य को पर आक्रमण किए। उसने भारत पर वर्ष 1748 से 1767 के मध्य 8 बार आक्रमण किया था।
पानीपत का तृतीय युद्ध
औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया। उसके बाद कई मुगल शासक बने जो कठपुतली शासक थे। इस समय दक्षिण भारत में मराठों का उत्कर्ष हुआ। वर्ष 1751-52 में मराठों और मुगलों के बीच अहमदिया संधि हुई, जिसके तहत मराठों ने अपनी राजधानी पुणे से भारत के बड़े भाग पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। जिससे मुगल शासन केवल दिल्ली तक सीमित रह गया।
मराठा की बढ़ती ताकत ने उन्हें एक ऐसी लड़ाई की ओर धकेल दिया जो उनके पतन का कारण बनी। यह लड़ाई पानीपत के तीसरे युद्ध के नाम से जानी जाती है। इसमें मराठों का मुकाबला अहमद शाह अब्दाली से हुआ। यह युद्ध 14 जनवरी, 1761 को हुआ था। कहा जाता है कि इस लड़ाई में एक दिन में मारे गए सिपाहियों की संख्या किसी भी लड़ाई से कहीं ज्यादा थी।
शुजा-उद-दौला की दीवान काशी राज के अनुसार, ये लड़ाई खत्म होने के अगले ही दिन 40 हजार मराठा सिपाहियों का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था।