विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ ने सीरम संस्थान के कोरोना वैक्सीन की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। अपने प्रस्ताव में भारतीय संस्थान ने कोविशील्ड वैक्सीन की शेल्फ लाइफ को छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने की बात कही थी। आपको जानकारी के लिए बता दें कि शेल्फ लाइफ का मतलब है कि वैक्सीन कितने समय तक इस्तेमाल के लायक रहती है या इस्तेमाल की जा सकती है।हालांकि, भारत का दवा नियामक डीसीजीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के उपयोग की समय-सीमा को उसके निर्माण की तारीख से छह महीने से बढ़ाकर पहले ही नौ महीने कर चुका है। लेकिन इंटरनेशनल मार्केट के लिए सीरम संस्थान अपनी वैक्सीन की शेल्फ लाइफ बढ़वाना चाहता था।
वैक्सीन की बर्बादी को कम करने के लिए दिया था प्रस्ताव
गौरतलब है कि भारत में इस समय कोरोना वायरस की दो वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें कोविशील्ड और कोवैक्सीन शामिल हैं। कोविशील्ड वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने विकसित किया है व इसका निर्माण भारतीय सीरम संस्थान कर रहा है। वहीं, दूसरी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन का निर्माण एक भारतीय दवा कंपनी भारत बायोटेक ने किया है।
सीरम संस्थान द्वारा कोरोना वायरस रोधी वैक्सीन की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने की मांग के पीछे यह वजह बताई जा रही थी कि इससे वैक्सीन की बर्बादी को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। लेकिन संस्थान के प्रस्ताव पर तब पानी फिर गया, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी मंजूरी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
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