तेजस्वी सूर्य : 28 साल का वकील जिसको बेंगलुरु से टिकट देकर बीजेपी ने खेला है बड़ा दांव

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लोकसभा चुनावों के लिए दक्षिणी बेंगलुरु लोकसभा सीट पर चले लंबे ड्रामे के बाद आखिरकार उम्मीदवार का नाम तय हो गया। बीजेपी ने बसवनगुड़ी विधायक रवि सुब्रमण्य के भतीजे एल एस तेजस्वी सूर्य के नाम पर मुहर लगा दी। दक्षिण बेंगलुरू लोकसभा सीट इसलिए भी अहम है क्योंकि यहां से केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अनंत कुमार सांसद थे।

 “यह चुनाव आम भारतीय की देशभक्ति की परीक्षा है। अगर आप मोदी जी के साथ हैं, तो आप भारत के साथ हैं और अगर आप मोदी के साथ नहीं हैं, तो आप भारत विरोधी हैं। बस।” कुछ ऐसे ही जोशीले भाषण देकर चर्चा में आए 28 साल के तेजस्वी सूर्य पेश से कर्नाटक उच्च न्यायालय में वकील हैं।

बीजेपी नेता के परिवार में पले-बढ़े तेजस्वी आरएसएस के स्वयंसेवक, बीजेपी राज्य युवा मोर्चा के महासचिव और भाजपा की राष्ट्रीय सोशल मीडिया टीम का हिस्सा भी रहे हैं। इस बार चुनावों में वह बेंगलुरु के सबसे कांग्रेस के दिग्गज बीके हरिप्रसाद के सामने वोट मांगेंगे।

नामांकन से कुछ घंटों पहले लिया गया फैसला

दक्षिणी बेंगलुरु को भाजपा का गढ़ और “सुरक्षित सीट” माना जाता है, क्योंकि पार्टी यहां से 1991 के बाद कभी नहीं हारी है। लेकिन फिर भी यहां से उम्मीदवार की घोषणा नामांकन जमा कराने के केवल कुछ ही घंटों पहले की गई।

हालांकि शुरूआत में दिवंगत भाजपा नेता अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी अनंत कुमार टिकट दिए जाने की चर्चाएं भी तेज थी लेकिन जल्द ही, पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगी।

क्या अनंत कुमार की जगह ले पाएंगे तेजस्वी ?

1996 में, बेंगलुरू दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में भाजपा सांसद के. वेंकटगिरी गौड़ा जो इस बार फिर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं लेकिन भाजपा बेंगलुरु की दक्षिण सीट से किसी युवा चेहरे को उतारने का मन बना चुकी थी।

उस समय वो युवा चेहरा थे 37 साल के अनंत कुमार। एक नए चेहरे को टिकट देने के फैसले पर पार्टी में कई लोगों ने नाराजगी जाहिर की लेकिन अनंत कुमार ने जो कि उस समय अनुभवहीन थे और हुबली से एक ‘बाहरी व्यक्ति’ थे, इसके बावजूद अनंत कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री आर गुंडू राव की पत्नी को हराया। तब से, भाजपा बेंगलुरु की दक्षिण सीट से एक भी चुनाव नहीं हारी।

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