कौन है चंद्रशेखर “रावण” जिसने योगी आदित्यनाथ की नींद उड़ा रखी है?

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चंद्रशेखर आजाद का उर्फ रावण का नाम तो आप सभी ने हाल ही सुना ही होगा। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर वही हैं जिन्हें 15 महीने जेल में गुजारने पड़े थे और फिलहाल काफी सुर्खियों में भी हैं।

अब प्रियंका गांधी चंद्रशेखर से मुलाकात करने अस्पताल पहुंची थी। प्रियंका गांधी अस्तपताल पहुंची नहीं कि कांग्रेस- भीम आर्मी के कयास लगाने शुरू हो चुके हैं। इसके अलावा चंद्रशेखर का कहना है कि वे मोदी को किसी भी सूरत में आसानी से जीतने नहीं देंगे और वाराणसी से अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे। जरूरत पड़ी तो खुद मोदी के सामने चुनाव में खड़े होंगे। आज हम चंद्रशेखर आजाद के बारे में ही बात करने ज रहे हैं।

चंद्रशेखर आजाद का जन्म सहारनपुर में चटमलपुर के पास धडकूलि गांव में हुआ था। जिले के ही कॉलेज से आजाद ने लॉ की पढ़ाई पूरी की।  राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत सहारनपुर जाति हिंसा में उनकी भूमिका के लिए जून 2017 को आजाद को गिरफ्तार किया गया था।

चंद्रशेखर आज़ाद को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2 नवंबर, 2017 को पहले ही जमानत दे दी थी। हालांकि, उनकी रिहाई के एक दिन पहले उन्हें NSA के तहत वापस हिरासत में ले लिया गया।

कौन हैं चंद्रशेखर आज़ाद?

चंद्रशेखर आज़ाद उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक दलित समर्थक हैं। वह भीम आर्मी के संस्थापक हैं जिन्हें विनय रतन सिंह के साथ बनाया था। इसको अंबेडकर सेना के नाम से भी जाना जाता है। यह समाज के निम्न जाति और अन्य हाशिए के लोगों के विकास के लिए समर्पित संगठन है। उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के लिए कई मुफ्त स्कूल चलाती है।

भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने अपनी ताकत को उस वक्त दिखाया जब नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ी संख्या में दलितों ने पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया था और उसमें भीम आर्मी काफी सुर्खियों में रही। सहारनपुर में दलितों पर हुई हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन के बाद चंद्रशेखर ने कहा था कि यदि 37 निर्दोष दलित जमानत पर रिहा किये जाएं, तो वह आत्मसमर्पण कर देगा।

क्या है भीम आर्मी?

भीम आर्मी उत्तर प्रदेश स्थित एक बहुजन समाज संगठन है। इस संगठन को एकता मिशन के नाम से भी जाना जाता है। सबसे पहले इसको लेकर आए दलित चिंतक सतीश कुमार।

बात 2014 की है जब चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ और विनय रतन आर्य ने निम्न स्तर कहे जाने वाले वर्गों के विकास के लिए इसे स्थापित किया गया। भीम आर्मी का कहना है कि वह शिक्षा के माध्यम से दलितों के लिए काम कर रहा है।

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