जब बचपन में सरोवर से मगरमच्छ के बच्चे को पकड़कर घर ले आए थे नरेन्द्र मोदी

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आज के समय में विश्व के सबसे चर्चित व लोकप्रिय नेताओं में से एक भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 सितंबर को अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। पीएम मोदी का जन्म वर्ष 1950 को गुजरात राज्य के वडनगर में हुआ था। उनका पूरा नाम नरेन्द्र दामोदरदास मोदी है। नरेन्द्र मोदी का बचपन में फ्री टाइम में ट्रेनों में चाय बेचने से लेकर गुजरात के चार बार ​मुख्यमंत्री व लगातार दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने तक का सफ़र बड़ा दिलचस्प रहा है। वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में पिता की सहायता करने वाले मोदी का बचपन मुफ़लिसी में बीता। आज हर व्यक्ति उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की इच्छा रखता है। ऐसे में पीएम नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

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युवावस्था में ही गृहत्याग, मॉं भारती को जीवन समर्पित

नरेन्द्र मोदी बचपन में औसत छात्र थे। उन्होंने वडनगर के सरकारी स्कूल से साल 1967 में 12वीं कक्षा पास की थी। पीएम मोदी को बचपन में एक्टिंग का बहुत शौक था। साथ ही वे स्कूल के समय थिएटर व वाद-विवाद प्रतियोगितों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते और खूब अवॉर्ड बटोरते थे। युवावस्था आते-आते उन्होंने गृहत्याग करते हुए अपना पूरा जीवन मॉं भारती के चरणों में समर्पित कर दिया। एक औसत छात्र होने के बावजूद नरेन्द्र मोदी स्मार्ट और हार्ड वर्क के दम पर सफ़लता दर सफ़लता हासिल करते गए।

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नाटक का मंचन कर स्कूल की चारदीवारी बनवाई

अपने स्कूल के दिनों में एक बार नरेन्द्र मोदी एनसीसी कैंप में गए हुए थे। इस दौरान एनसीसी कैडेट्स को कैंप मैदान से बाहर निकलना साफ मना था। उनके शिक्षक गोवर्धनभाई पटेल ने देखा कि मोदी एक खंबे पर चढ़े हुए हैं तो उन्हें उन पर गुस्सा आ गया। लेकिन जब उनकी नज़र इस बात पर पड़ी कि एक फंसे हुए पक्षी को निकालने के लिए मोदी खंबे पर चढ़े हैं तो उनका गुस्सा फौरन ही खत्म भी हो गया।

उनके बारे में एक और किस्सा ये है कि हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान स्कूल का रजत जयंती वर्ष मनाया जाना था और स्कूल में चारदीवारी नहीं थीं। यहां तक कि स्कूल के पास इतना पैसा भी नहीं था कि चारदीवारी बनवा सके। नरेन्द्र मोदी के मन में आया कि छात्रों को भी इस काम में स्कूल की मदद करनी चाहिए। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर एक नाटक का मंचन किया और इससे जो धनराशि जमा हुई वो स्कूल को चारदीवारी बनवाने के लिए डोनेट कर दी।

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सरोवर से मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ घर ले आए

नरेन्द्र मोदी स्कूल के दिनों में अपने बचपन के दोस्त के साथ शर्मिष्ठा सरोवर गए थे, जहां से वह एक मगरमच्छ के बच्चे को पकड़कर घर ले आए। उनकी मां हीरा बा ने उनसे कहा कि इसे वापस सरोवर में छोड़कर आओ। बच्चे को कोई यदि मां से अलग कर दे तो दोनों को ही परेशानी होती है। मां की ये बात नरेन्द्र को समझ आ गई और वो उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस सरोवर में छोड़ पहुंच गए।

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‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने बताया कि वो शहनाई बजाने वालों को बचपन में इमली दिखाया करते थे, ताकि शहनाई बजाने वालों के मुंह में पानी आ जाए और वो शाहनाई ना बजा पाएं। इस पर शहनाईवादक नाराज़ होकर नरेन्द्र मोदी के पीछे भागते थे। हालांकि, उन्होंने इस दौरान कहा कि शरारत के साथ बच्चों को पढ़ाई पर भी ध्यान देना चाहिए। उनका खुद का भी यह मानना है कि शरारतों से ही बच्चे का तेजी से विकास होता है।

चॉक के टुकड़े का पाउडर बनाकर लगाते थे जूतों पर

बचपन में पीएम मोदी के घर की आर्थिक हालात ऐसी नहीं थी कि वे जूते खरीद सकें। उनके मामा ने उन्हें सफेद कैनवास जूते खरीद कर दिए थे। ये जूते जल्दी ही गंदे हो जाते और नरेन्द्र मोदी के पास पॉलिश खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। उन्होंने एक तरीका निकालते हुए टीचर द्वारा फेंके गए चॉक के टुकड़ों को जमा करना शुरु कर दिया था। वो उनका पाउडर बनाते और भिगोकर अपने जूतों पर लगा लिया करते थे। सूखने के बाद उनके सफेद जूते नए जैसे ही चमकते थे।

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यह कहना उचित होगा कि आध्यात्म, करुणा, परस्पर प्रीति और जिज्ञासा जैसे संस्कार पीएम मोदी को जन्मजात ईश्वरीय वरदान के रूप में मिले हैं। हर चीज को देखने का उनका अलग ही दृष्टिकोण है। जिस प्रकार एक फौजी अपनी जान की परवाह किए बगैर भारत माता की रक्षा के ​ख़ातिर बॉर्डर पर हमेशा सज़ग तैनात रहता है, उसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की प्रगृति और विरासत को आगे बढ़ाने के लिए हर-पल कुछ नया खोजते रहते हैं। वे भारत माता के सच्चे सपूत और किसी चमत्कारी शख़्स से कम नहीं हैं।

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