पिछले कुछ महीनों में सबसे ज्यादा पूछे जाना सवाल था “क्या नरेन्द्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे?” ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव इसी सवाल के इर्द गिर्द घूमा। रिजल्ट हम सभी के सामने है। बीजेपी ने संसद में बहुमत साबित किया और 2014 से भी ज्यादा सीटों के बाद मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बने।
अब जब सरकार शुरू हो चुकी है और मोदी 2.0 का आगाज भी हो चुका है ऐसे में सवाल उठता है कि मोदी के दूसरे कार्यकाल में इंडिया कैसे बदलेगा? हमें ये समझने की जरूरत है कि दोबारा जब वोटर्स ने नरेन्द्र मोदी को चुना है तो उनके पास जनता तक पहुंचाने के लिए क्या है?
शपथ ग्रहण के साथ और कैबिनेट तैयार करने के बाद आज भारत की 17 वीं लोकसभा अपना पहला सत्र शुरू कर रही है। सरकार का पहला बजट 5 जुलाई को आएगा। बहरहाल इसके अलावा हम अनुमान लगा सकते हैं कि मोदी सरकार का एजेंडा फिलहाल क्या है।
संसद पिछले पांच वर्षों में कई बार भाजपा के लिए निराशाजनक साबित हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी योजना या अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी को राज्यसभा की जरूरत होती है और फिलहाल विपक्ष वहां मजबूत है। ऐसे में वह विपक्ष के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते। भाजपा को अभी भी 2021 तक इंतजार करना होगा ताकि उसके गठबंधन को राज्यसभा में बहुमत मिल सके।
अब ध्यान देने वाली बात है कि क्या बीजेपी इस बार भी अपने एजेंडे या योजना को संसद में सेट नहीं कर पाएगी? निचले सदन में बीजेपी की जगह पहले से ज्यादा बढ़ी है। पार्टी ने और भी ज्यादा सीटें जीती हैं। अब जब सत्ता में वे इन ज्यादा सीटों के साथ आई है तो बीजेपी पिछली बार यानि 2014 की तुलना में जल्दी काम करना शुरू कर सकती है। इन मुद्दों पर मोदी 2.0 सरकार का ध्यान होना चाहिए।
एक सुस्त अर्थव्यवस्था
देश भर के विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है जिसका कोई समाधान फिलहाल नजर में नहीं है। नई सरकार के पहले बजट में मोदी को निवेशकों और नागरिकों को यह विश्वास दिलाना होगा कि यह इस मुद्दे से जूझने में सक्षम होगी और अर्थव्यस्था को ट्रेक पर ला सकेगी।
कृषि संकट
मोदी ने पहले से ही कृषि क्षेत्र में सुधारों को देखने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। कृषि क्षेत्र फिलहाल एक बड़े संकट से गुजर रहा है। बीजेपी सरकार ने सुधारों के लिए थोड़ी जिज्ञासा दिखाई है जो मूल समस्याओं को तो शायद हल कर सकती है लेकिन खेती के इस लंबे चले आ रहे नेरेटिव को नहीं बदल पाएगी।
एक अधूरा व्यापार एजेंडा
मोदी 1.0 द्वारा कई कंपनियों का दिवालियापन, बैंक के साथ धोखाधड़ी और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को देखा गया। मोदी सरकार की इस क्षेत्र में योजना और कानून की सख्ती भी जरूरी है। विशेषज्ञों की मानें तो भूमि और श्रम पर नए सिरे से ध्यान देने के साथ व्यापार के लिए कानूनों को सरल बनाने के लिए और अधिक प्रयासों की जरूरत फिलहाल मोदी सरकार को है।
विकास या कल्याण
पिछले पांच वर्षों में स्मार्ट सिटी और मेक इन इंडिया परियोजनाओं ने उज्जवला (गैस सब्सिडी) और पीएम-किसान (एक किसान हैंडआउट) को रास्ता दिया। नई सरकार सबसे बड़ी प्राथमिकता अब पाइप्ड पानी की व्यवस्था करना है। ऐसे में ये चुनौतियां भी सरकार के सामने रहेंगी।
दक्षिणपंथी मांगें
अब जब बहुमत और बढ चुका है और संसद में एनडीए की भागीदारी भी बढ़ गई है तो क्या सरकार चुनाव से पहले या हमेशा से चले आ रहे कुछ विवादित मुद्दों पर भी एक्शन लेगी? इन मुद्दों में अयोध्या में ध्वस्त बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाना और सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करना जैसे मुद्दे शामिल हैं।