क्या है रेडक्रॉस सोसायटी जिसके जरिए पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को सौंपा?

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पाकिस्तान ने 48 घंटों के भीतर ही भारत के दबाव में झुकते हुए इंडियन एयरफोर्स के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को रिहा कर दिया है। पाकिस्तानी सेना ने बुधवार को विंग कमांडर अभिनंदन को पीओके से क़ब्ज़े में ले लिया था। विंग कमांडर पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों का पीछा करते हुए पीओके में पहुंच गए थे। शुक्रवार को अभिनंदन को पाकिस्तान ने रेडक्रॉस सोसायटी के जरिए भारत को सौंप दिया। रेडक्रॉस के प्रतिनिधियों ने उन्हें भारतीय सेना के अधिकारियों को सौंपा। ऐसे में हम सबके लिए यह जानना जरूरी हो गया है कि ये रेडक्रॉस सोसायटी क्या है? इसका इतिहास क्या है और इसकी स्थापना कैसे हुई? आइये जानते हैं..

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156 साल पहले हुई थी रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना

रेडक्रॉस सोसायटी एक स्वतंत्र अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है, जो किसी देश की सरकार के दबाव के बिना काम करती हैं। इसकी स्थापना हेनरी डयूनेन्ट ने 9 फरवरी, 1863 को स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में की थी। स्थापना के वक्त पांच लोगों की कमेटी थी। 1863 में जिनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ जिसमें 18 देशों ने शिरकत की थी। वहीं, रेडक्रॉस सोसायटी को कानूनी रूप मिला। गौरतलब है कि रेडक्रास के स्थापक हेनरी डयूनेन्ट को 1901 में शांति का पहला नोबेल पुरस्कार मिला था। 8 मई को विश्व रेडक्रॉस दिवस मनाया जाता है।

मानवता की सेवा करना है रेडक्रॉस का सिद्धांत

रेडक्रॉस सोसायटी का सिद्धांत मानवता की सेवा करना है। इस संस्था ने मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता, स्वतंत्रता, स्वयं प्रेरित सेवा, एकता एवं सार्वभौमिकता के सिद्धान्तों को आत्मसात कर दिखाया है। भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी अधिनियम 1920 में पारित किया गया है। यह शारीरिक स्वास्थ्य की उन्नति, रोगों का प्रतिबन्ध और पीडि़तों की सहायता पर बल देता है। भारतीय रेडक्रास सोसायटी की सभी राज्यों में 700 से अधिक जिला शाखाएं हैं। बता दें, अभिनंदन से पहले कारगिल युद्ध के दौरान भी जब भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट नचिकेता पाकिस्तान के कब्जे में चले गए थे। उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार ने कोशिश की थी। तब भी पाकिस्तान ने उन्हें रेडक्रॉस के हवाले कर दिया था, जो उन्हें भारत वापस लेकर आया था।

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क्या है रेडक्रॉस के उद्देश्य

मानवता: रेडक्रॉस का उद्देश्य जीवन तथा स्वास्थ्य की सुरक्षा करना एवं मानव मात्र का सम्मान सुनिश्चित करना है।

निष्पक्षता: यह संस्था राष्ट्रीयता, नस्ल, धार्मिक श्रद्धा, श्रेणी तथा राजनीतिक विचारधारा के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं करती है।

स्वतंत्रता: यह सोसाइटी अपनी स्वायत्ता रखने के लिए पूर्ण रुप से स्वतंत्र है ताकि हर समय यह मूवमेंट के सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करने में सफल रहें।

स्वयं प्रेरित सेवा: रेडक्रॉस एक स्वैच्छिक रुप से राहत देने का काम करने वाले लोगों की संस्था है जिसमे लाभ की इच्छा को कोई जगह नहीं दी जाती है।

तटस्थता: सभी का विश्वास हासिल करने के लिए तथा विवादों से दूर रहने के लिए यह सोसाइटी किसी भी संस्था या व्यक्ति के प्रति किसी भी प्रकार का पक्षपात नहीं करती है।

सार्वभौमिकता: अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस संस्था की नज़रों में सभी सोसाइटी की स्थिति, जिम्मेदारी और कर्तव्य एक समान हैं।

एकता: रेडक्रॉस सोसायटी सबके लिए खुली है।

रेडक्रॉस का इतिहास

अगर रेडक्रॉस के इतिहास की बात करे तो यह इटली और फ़्रांस के साथ युद्ध से शुरू हुआ था। दरअसल, उसी समय एक युवक पहाड़ी पर बैठा हुआ दूरबीन की सहायता से उस युद्ध के दृश्य को देख रहा था। उसने देखा कि युद्ध मे घायल कराहते हुए सैनिकों को कूड़े की तरह ढोकर सहायता शिविरों मे छोड़ा जा रहा है। सैनिकों की ऐसी दशा देखकर वह युवक अत्यंत दुखी हुआ। उल्लेखनीय है कि वह युवक फ़्रांसिसी सम्राट से मिलने पेरिस गया था। लेकिन जब उसे पता चला कि सम्राट मोर्चे पर गए हैं तो वह उनसे मिलने युद्ध क्षेत्र की तरफ चल पड़ा था। वहां युद्ध में घायल सैनिकों का वीभत्स दृश्य देखकर वह सम्राट से मिलने की बात भूल गया था। इस समय उसके मन मे केवल एक ही बात घूम रही थी कि कैसे इन घायलों व मरणासन्न सैनिकों की मदद की जाए।

तभी उस युवक को सूचना मिली कि घायल सैनिक गिरजाघर मे हैं, वह तुरंत उनकी मदद के लिए वहां जा पहुंचा और उसने हर मुमकिन घायलों की सेवा की। इसी बीच युद्ध भी समाप्त हो चुका था लेकिन युवक के मन मे ये बात घर कर चुकी कि किसी भी तरह युद्ध मे घायल हुए सैनिकों की सेवा के लिए एक ऐसा दल बनाया जाना चाहिए जो तुरंत वहां मौके पर पहुंच कर उन्हें प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराए और उनका जीवन बचाने की पूरी कोशिश करे। उसने स्वयं ही एक ऐसा दल तैयार किया और अपने प्रयासों से उसने इस दल को एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप मे मान्यता भी दिलवा दी। यह संस्था आज दुनियाभर में रेडक्रॉस सोसायटी के नाम से जानी जाती हैं।

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इसकी स्थापना के बाद से अगर कोई भी देशों के बीच युद्ध छिड़ता था तो रेडक्रॉस संस्था के सदस्य तुरंत घायल सैनिकों की सेवा मे जुट जाते हैं। इस संस्था के सदस्यों को तटस्थ माना जाता है। इसका मतलब है कि घायल सैनिक किसी भी देश से हो इस दल का व्यवहार दोनों देशों के सैनिको के लिए एक जैसा होगा। रेडक्रॉस सोसायटी के सदस्य एक विशेष प्रकार की पोशाक पहनते हैं। इस पर एक चिन्ह बना रहता है वह चिन्ह रेडक्रॉस का लोगो भी हैं।

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