अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ जल्द ही महाभियोग चलाया जाएगा। हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति के ऑफ़िस व्हाइट हाउस ने ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर ज़ेलेंस्की के बीच फ़ोन पर हुई उस बातचीत को सार्वजनिक किया था। ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच फ़ोन पर हुई ये बातचीत व्हिसल ब्लोअर की शिकायत के बाद सार्वजनिक की गई। इसके बाद अब अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पलोसी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं, ट्रंप ने महाभियोग प्रक्रिया को राष्ट्रपति का उत्पीड़न बताते हुए इसे मज़ाक करार दिया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपतियों पर महाभियोग कैसे लगता है और इसका मतलब क्या है?
अमेरिकी महाभियोग क्या है?
अमेरिकी में महाभियोग एक ऐसा प्रावधान है, जो कांग्रेस यानि अमेरिकी संसद को अमेरिका के राष्ट्रपति को हटाने की अनुमति देता है। अमेरिकी संविधान के तहत, प्रतिनिधि सभा (निचले सदन) में बहुमत के बाद महाभियोग चलाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। जब अमेरिका में देश के राष्ट्रपति पर देशद्रोह, घूस या फिर किसी बड़े अपराध में शामिल होने का शक़ हो तब महाभियोग लाया जाता है। इस पर सीनेट में एक सुनवाई होती है लेकिन यहां महाभियोग को मंज़ूरी देने के लिए दो तिहाई बहुमत की ज़रूरत पड़ती है। दिलचस्प बात ये है कि अमेरिकी इतिहास में अभी तक किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग के ज़रिए हटाया नहीं जा सका है।
अमेरिका में महाभियोग का इतिहास
अमेरिका के इतिहास में कई बार उसके राष्ट्रपतियों पर महाभियोग चलाया गया है, लेकिन केवल दो राष्ट्रपतियों को ही इसका सामना करना पड़ा था। साल 1968 में अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन और वर्ष 1998 में बिल क्लिंटन पर महाभियोग चलाया गया था, लेकिन सीनेट ने उन्हें दोषी नहीं ठहराया। वहीं, साल 1974 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन पर भी महाभियोग चलाया गया था, लेकिन उन्होंने सुनवाई शुरु होने पर अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में हुए अमेरिकी प्रेसिडेंट इलेक्शन को प्रभावित करने के लिए रूस के साथ डोनाल्ड ट्रंप की मिलीभगत के आरोपों के बाद उन पर महाभियोग चलाने की बात हुई थी। इसके अलावा डेमोक्रेटिक कांग्रेस की चार महिला सांसदों के ख़िलाफ़ नस्लीय टिप्पणी करने पर भी ट्रंप विरूद्ध महाभियोग की मांग उठी थी। लेकिन इन मामलों में डोनाल्ड ट्रंप पर महाभियोग नहीं चलाया जा सका और वे अब तक पद पर बने हुए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप को हटाना बहुत ही मुश्किल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर महाभियोग चलाकर उनको पद से हटाना बिलकुल भी आसान नहीं होगा। कहा जा रहा है कि निचले सदन में महाभियोग पास हो सकता है। लेकिन इसे सीनेट में पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की ज़रूरत होती है और यहां ट्रंप की रिपब्लिकन का भारी बहुमत है। प्रतिनिधि सभा यानि निचले सदन में अभी डेमोक्रेटिक पार्टी के 235 सदस्य हैं। वहीं, रिपब्लिकन पार्टी के 199 सदस्य हैं और एक निर्दलीय है। ऐसे में निचले सदन में डेमोक्रेटिक पार्टी ट्रंप पर हमला कर सकती है।
लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के 53 और डेमोक्रेटिक के 45 सदस्य हैं और दो निर्दलीय हैं। निर्दलीय सदस्य आमतौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ वोट करते हैं। सीनेट में डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन मज़बूत स्थिति में हैं और राष्ट्रपति को दोषी सिद्ध करने के लिए 67 मतों की आवश्यकता होगी। ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी के 45 और दो निर्दलीय सदस्यों को भी शामिल कर लिया जाए तो हटाने के लिए जरूरी बहुमत पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसा होगा नहीं कि कुछ रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य सीनेट में अपनी ही पार्टी के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ मतदान करें। इस तरह ट्रंप को महाभियोग से पद जाने जैसा कोई ख़तरा नहीं फ़िलहाल नहीं है।
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कैसे पूरी होती है महाभियोग की प्रकिया?
अमेरिका में जब किसी राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जाता है तो अमेरिकी संसद की न्यायिक समिति इन आरोपों की जांच करती है। इसके बाद रजामंदी होने पर आरोप तय किए जाते हैं। इन आरोपों के आधार पर प्रतिनिधि सभा में वोटिंग होती है। अगर वोटिंग में महाभियोग चलाने के समर्थन में मत हो जाते हैं तो फ़िर मामला सीनेट को सौंप दिया जाता है। सीनेट कोर्ट की तरह काम करती है और अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश इसकी अध्यक्षता करते हैं। सुनवाई के लिए सीनेटर्स के बीच से कुछ सांसदों को चुना जाता है।
ये सांसद एक तरह से मैनेजर के रूप में जाने जाते हैं। ये मैनेजर्स अभियोजकों का रोल प्ले करते हैं। इस ट्रायल के दौरान राष्ट्रपति के वकील को भी अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाता है। सुनवाई पूरी होने के बाद सीनेट महाभियोग के हर आर्टिकल पर वोट करती है। यदि वोटिंग में कम से कम दो तिहाई सीनेटर राष्ट्रपति को दोषी पाते हैं तो उन्हें पद से हटा दिया जाता है।