क्या है 996 वर्क कल्चर जो चीन के बाद अब भारत में भी पैर पसार रहा है, कहीं आप भी तो नहीं है इसके शिकार

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996 works Cultural

अपने पड़ोसी देश चीन में 996 वर्क कल्चर अपने पांव जमा चुका है अब बारी भारत की है। 996 वर्क कल्चर में व्यक्ति सप्ताह में 6 दिन सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक काम करता है। यह चीन की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों और स्टार्टअप्स के बीच आम बात है। भारत में भी 996 वर्क कल्चर तेजी से लोगों पर हावी होता जा रहा है। इससे उनका जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। यह एक अध्ययन में पाया गया है।

गोदरेज इंटरियो सर्वेक्षण द्वारा किए गए अध्ययन में शामिल लोगों से मिले जबावों से पता चलता है कि काम के दबाव की वजह से 64% से अधिक उत्तरदाताओं को लगता है कि वे अपने परिवार के लिए पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं।

यहीं नहीं भारत के 34 फीसदी प्रोफेशनल्स ने स्वीकार किया है कि वह काम के दबाव में अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय नहीं गुजरा पा रहे हैं। इसके अलावा परिवार, दोस्तों और अपने शौक पूरा करने का भी लोगों को समय नहीं मिलता है।

गोदरेज इंटरियो के सीईओ अनिल माथुर ने कहा कि इस कल्चर से यह बात साफ है कि तकनीक के आने से लोगों का वक्त काम में अधिक गुजरने लगा है। पहले जब तकनीक नहीं हुआ करती थी, तब लोग अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताते थे।

लोगों ने स्वीकारा नहीं दे पा रहे हैं परिवार को पूरा समय

सर्वे में 64 प्रतिशत प्रोफेशनल्स ने स्वीकार किया है कि वे लोग अपने परिवार के लिए पूरा समय नहीं निकाल पा रहे हैं। वहीं 28 प्रतिशत का कहना है कि वो अपनी पत्नी को ज्यादा समय नहीं दे पाते। 21.2 प्रतिशत ने माना कि उन्हें दोस्तों के साथ मिलने का समय नहीं बचता है। 16.2 प्रतिशत लोगों ने माना कि वह अपने माता-पिता को ज्यादा वक्त नहीं दे पाते हैं। वहीं 61 प्रतिशत का कहना है कि वो अपने शौक पूरा करने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। 68.2 प्रतिशत ने माना कि वो अपनी शर्तों पर जिंदगी को नहीं जी रहे हैं।

इस अध्ययन में देश के 13 शहरों को शामिल किया गया है जिनमें चंडीगढ़, मुंबई, जयपुर, कोयंबटूर, पुणे, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली और बंगलूरू प्रमुख थे।  इस सर्वे में इन शहरों के 1300 लोगों को शामिल किया गया।

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