आईसीसी क्रिकेट विश्व कप-2019 में धीमी पारी खेलने के कारण भारतीय टीम के विकेटकीपर-बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी कई दिग्गज क्रिकेटरों के निशाने पर रहे। विश्व कप के बाद से उनके संन्यास लेने की ख़बरों ने जोर पकड़ लिया था। हालांकि वेस्टइंडीज दौरे के लिए टीम इंडिया की घोषणा से ठीक पहले एमएस धोनी ने बीसीसीआई को अगले दो महीनों तक खुद को अनुपलब्ध बताकर इन ख़बरों पर कुछ समय के लिए ब्रेक जरूर लगा दिया। लेकिन इसके बाद ख़बरें आईं कि धोनी टेरिटोरियल आर्मी के साथ कुछ समय बिताएंगे। इसके लिए उन्हें सेना अध्यक्ष जनरल विपिन रावत से अनुमति भी मिल गई। गौरतलब है कि धोनी पहले से ही टेरिटोरियल आर्मी के सदस्य हैं। ऐसे में कई लोग यह जानने को बेताब है कि ‘टेरिटोरियल आर्मी’ क्या होती है और इसमें लोगों का सिलेक्शन कैसे होता है? आइए हम आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं..
टेरिटोरियल आर्मी क्या होती है?
टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) नियमित भारतीय सेना के बाद दूसरी पंक्ति की एक सैन्य इकाई है। यह कोई पेशा, व्यवसाय या रोज़गार का साधन नहीं है। टेरिटोरियल आर्मी देश के उन आम नागरिकों के लिए हैं जो अपने मुल्क की रक्षा का जज़्बा मन रखते हैं और किसी कारणवश नियमित सेना का हिस्सा नहीं हो सकते। श्रमिक से लेकर सिविल सर्वेंट तक कोई भी भारतीय नागरिक प्रादेशिक सेना का हिस्सा बन सकता है, बशर्ते वह भारतीय हो। टेरिटोरियल आर्मी की सेवाएं युद्ध के समय या बहुत ज़रूरत पड़ने पर किसी विशेष ऑपरेशन में ली जाती है। युद्ध के समय प्रादेशिक सेना पुलों और सैन्य सामान आदि की रक्षा के लिए काम करती है। टेरिटोरियल आर्मी यानि प्रादेशिक सेना एक स्वैच्छिक अंशकालिक नागरिक सेवा है। लेकिन ‘इंफेंटरी’ के लिए चुने गए अफसरों को लंबी अवधि के अवसर रहते हैं।
प्रादेशिक सेना के लिए क्या योग्यता जरूरी है?
टेरिटोरियल आर्मी में दो स्तर सिपाही और ऑफिसर पद पर भर्ती की जाती है। सिपाही के पद के लिए कम से कम 10वीं पास और ऑफिसर बनने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक पास है। इसके अलावा भारतीय नागरिक होने के साथ आयु 18 से 42 के बीच और सभी तरह से शारीरिक और मेडिकल रूप से फिट होना जरूरी है। साथ ही उस व्यक्ति का किसी लाभप्रद रोज़गार से जुड़ा होना अनिवार्य है। इसमें भर्ती के लिए समय-समय पर विज्ञापन प्रकाशित होते हैं।
सभी आवेदकों के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। परीक्षा में सफ़ल रहने वाले अभ्यर्थियों की स्क्रीनिंग का काम प्रीलिमिनरी इंटरव्यू बोर्ड (पीआईबी) विभिन्न टीए ग्रुप हैडक्वार्टर्स करते हैं। पीआई के सफल कैंडीडेट को अपना संक्षिप्त ब्यौरा देना होता है। इसमें केन्द्र सरकार/अर्ध सरकारी/ प्राइवेट फर्म/अपने व्यवसाय की सूचना शामिल होती है। साथ में सभी स्नोतों से प्राप्त मासिक आय भी बतानी होती है। अभ्यर्थियों की स्क्रीनिंग आर्मी हैडक्वार्टर सिलेक्शन बोर्ड के पूर्व सैन्य अफसरों द्वारा होती है। इसके बाद सफ़ल अभ्यर्थियों को केवल मेडिकल बोर्ड की प्रक्रिया से गुजरना होता है।
वर्ष 1949 में टेरिटोरियल आर्मी की स्थापना हुई
भारत में टेरिटोरियल आर्मी की स्थापना का इतिहास पुराना है। भारतीय संविधान सभा द्वारा सितमबर, 1948 में पारित प्रादेशिक सेना अधिनियम– 1948 के अनुसार, भारत में 9 अक्टूबर, 1949 में टेरिटोरियल आर्मी स्थापित हुई। देश में 9 अक्टूबर को प्रादेशिक सेना दिवस मनाया जाता है। उद्देश्य संकटकाल में आंतरिक सुरक्षा का दायित्व लेना और आवश्यकता पड़ने पर नियमित सेना को सपोर्ट देना है। टेरिटोरियल आर्मी सदस्यों को प्रति वर्ष कुछ दिनों का सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि, ज़रूरत पड़ने पर देश की रक्षा के लिये उनकी सेवाएं ली जा सकें। अफसर के रूप में चुने जाने पर ‘लेफ्टिनेंट’ का दर्जा मिलता है। प्रशिक्षण एवं सैन्य सेवा के दौरान उन्हें पद के अनुसार, नियमित सैन्य अफसर के बराबर वेतन, भत्ते, कैंटीन सुविधा आदि मिलते हैं। योग्यता के अनुसार लेफ्टिनेंट कर्नल तक की पदोन्नति समय/अवधि के अनुसार मिलती है। कर्नल एवं ब्रिगेडियर के लिए बकायदा सैन्य चयन प्रक्रिया से गुजरना होता है।
Read More: 19 वर्षीय क्रिस्टोफ मिलक ने तोड़ा विश्व चैंपियन माइकल फेल्प्स का रिकॉर्ड
टेरिटोरियल आर्मी में चयनित होने पर बटालियन का निर्धारण किया जाता है। इसके बाद तुरंत एक माह की ‘रिक्रूट ट्रेनिंग’ दी जाती है। कमीशन प्राप्त होने के बाद ‘पोस्ट कमीशन ट्रेनिंग’ से पहले तीन माह की ‘बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग’ मिलती है। यह प्रशिक्षण ‘टीए’ ट्रेनिंग स्कूल में दिया जाता है। बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग के बाद तीन माह की पोस्ट कमीशन ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद हर वर्ष दो माह का वार्षिक ‘ट्रेनिंग कैंप’ लगता है। उल्लेखनीय है कि टेरिटोरियल आर्मी की यूनिट वर्ष 1962, वर्ष 1965 और वर्ष 1971 के ऑपरेशन में सक्रिय थीं। प्रादेशिक सेना श्रीलंका में ‘ऑपरेशन पवन, पंजाब में ऑपरेशन रक्षक और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन राइनो और नॉर्थ-ईस्ट में ऑपरेशन बजरंग’ में हिस्सा ले चुकी है।
प्रादेशिक सेना में ये काम करेंगे एमएस धोनी
महेंद्र सिंह धोनी अब टेरिटोरियल आर्मी की ‘पैराशूट रेजिमेंट’ से जुड़ जाएंगे। वह 15 दिनों तक जम्मू-कश्मीर में सैनिकों के साथ रहेंगे और ट्रेनिंग लेंगे। एमएस धोनी जिस 106 टेरिटोरियल आर्मी बटालियन (पैरा) में ट्रेनिंग लेंगे, वह यूनिट कश्मीर में तैनात है और विक्टर फोर्स का हिस्सा है। धोनी इस दौरान गश्त, गार्ड और पोस्ट ड्यूटी का काम करेंगे। हालांकि एमएस धोनी को किसी भी ऑपरेशन का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा। लेकिन वह 31 जुलाई से 15 अगस्त तक सैन्य गतिविधियों से जुड़े रहेंगे। बता दें, महेंद्र सिंह धोनी प्रादेशिक सेना की पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद उपाधि) हैं।