क्या है तबलीगी जमात और मरकज जो अचानक चर्चा का केंद्र बन गए हैं?

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Tablighi-Jamaat

इस्लामिक धार्मिक संगठन तबलीगी जमात से दुनियाभर के लाखों लोग जुड़े हुए हैं। इन लोगों के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन एरिया में स्थित मरकज की हैसियत एक धार्मिक तीर्थस्थल जैसी है। इसीलिए देशभर में लॉकडाउन के बावजूद यहां 2000 से भी ज्यादा लोग इकट्ठा थे। कानून तोड़ने की वजह से दिल्ली पुलिस ने तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद उर्फ मोहम्मद साद कांधलवी सहित 7 लोगों के खिलाफ कोरोना महामारी कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

क्या है तबलीगी जमात?

तबलीगी जमात पूरी तरह से एक इस्लामी (धार्मिक) संगठन है, जो इबादत यानी ईश्वर की प्रार्थना को अहमियत देता है। इस संगठन का मुस्लिम समाज के किसी आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से किसी भी तरह का मतलब नहीं होता है। यह संगठन सिर्फ और सिर्फ इस्लाम का प्रचार ख़ासकर मुसलमानों के बीच करती है।

राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में बंगले वाली मस्जिद में तबलीगी जमात का मरकज है। करीब 3 एकड़ से ज्यादा जमीन में फैले तबलीगी जमात के मरकज की सात मंजिली इमारत में 10 हजार लोग एक साथ ठहर सकते हैं। इतना ही नहीं यहां प्रतिदिन 6 हजार से ज्यादा लोग एक साथ नमाज पढ़ते हैं। इस मरकज में दोपहर और शाम को करीब दो हजार लोग रोजाना खाना खाते हैं। विदेश से आने वाले लोगों को संगठन की ओर से नास्ता भी उपलब्ध कराया जाता है। इसका खर्च तबलीगी जमात मरकज उठाता है।

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मौलाना इलियास कांधलवी ने किया था गठन

मौलाना इलियास कांधलवी ने दिल्ली की बंगले वाली मस्जिद में सन् 1927 में तबलीगी जमात संगठन का गठन किया था। इसीलिए ही इस जगह को तबलीगी जमात का मुख्यालय के तौर पर स्थापित किया गया। यहीं से देश और दुनियाभर के लिए जमातें निकलती हैं। इसके बारे में बताया जाता है कि तबलीगी जमात लोगों के चंदे पर निर्भर नहीं है, जमात के सदस्य अपना पैसा लगाते हैं और अपने पैसों से जमातों में जाते हैं।

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