जमात-ए-इस्लामी क्या है, इसके नेताओं को क्यों हिरासत में लिया गया है?

Views : 3924  |  0 minutes read
jammu_and_kashmir

घाटी में इसके कई नेताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद जमात-ए-इस्लामी ने कहा है कि यह घाटी में अनिश्चितता को बढ़ाने के लिए सरकार की सोची समझी साजिश है। सरकार ने नेताओं की नजरबंदी के लिए कोई कारण नहीं बताया है।

जमात ए इस्लामी के एक सदस्य ने कहा कि इस समय कुछ गड़बड़ चल रही है। जब सुप्रीम कोर्ट में विशेष स्थिति को सूचीबद्ध किया गया है। अनुच्छेद 35A जो जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देता है। जिस तरह से सेना के जवानों ने सामूहिक रूप से गिरफ्तारी और दर्जनों जमात सदस्यों को हिरासत में लिया है उससे पता चलता है कि पर्दे के पीछे बहुत कुछ चल रहा है।

yasin-malik
yasin-malik

महबूबा मुफ्ती, सजाद लोन और मीरवाइज उमर फारूक उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने इस कदम की निंदा की है। आर्टिकल 35A को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है और इसके दो दिन पहले ऐसा सामने आया है।

mehbooba mufti
mehbooba mufti

जमात-ए-इस्लामी 1942 में विभाजन से पहले स्थापित एक सामाजिक-धार्मिक राजनीतिक पार्टी है। जम्मू कश्मीर में मजबूत कैडर बेस रखने वाला संगठन “जमात-ए-इस्लामी हिंद” से अलग है और पाकिस्तान के प्रति अधिक झुकाव रखता है। यह 1990 से पहले J & K की चुनावी राजनीति का हिस्सा था।

इस राजनीतिक संगठन का कहना है कि जम्मू और कश्मीर एक विवादित राज्य है और इस विवाद का समाधान सिर्फ एक ही तरीके से किया जा सकता है और वो है राइट टू सेल्फ डिटरमिनेशन।

Mirwaiz_
Mirwaiz_

सेल्फ डिटरमिनेशन एक देश या राज्य के स्वतंत्र होने का अधिकार है बजाय इसके कि वह किसी और के द्वारा नियंत्रित हो और सरकार का अपना रूप चुने।

Jamat-e-Islami chief
Jamat-e-Islami chief

उग्रवाद की शुरुआत में घाटी के सबसे बड़े स्वदेशी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन ने खुद को जमात का सशस्त्र विंग कहा था। सरकार राज्य में इस जमात को उग्रवाद की प्रेरणा को बढ़ावा देने वाली विचारधारा के रूप में देखती है।

COMMENT