पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, उन्हें मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया केस में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। इससे उनकी गिरफ्तारी का खतरा मंडराने लगा है। तब से ही वह फरार चल रहे हैं। इस पर चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली और मामला सीजेआई के पास चला गया है।
खबरों के मुताबिक उन्हें देश छोड़कर बाहर जाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशलाय (ईडी) ने लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है। केस की जांच कर रही दो एजेंसियां, सीबीआई और ईडी मंगलवार से ही उनकी तलाश में जुटी हैं।
लुकआउट नोटिस
देश की जांच एजेंसियां किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामले की जांच कर रही होती हैं, ऐसे में वह फरार है तो उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किए जा सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि अपराधी विदेशों में भागने की फिराक में रहता है। तो ऐसे में अपराधी का लुक आउट नोटिस जारी करने के बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमाओं (जैसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों या समुद्री क्षेत्र, बंदरगाहों) पर आव्रजन जांच के दौरान अधिकारी गिरफ्तार कर सकते हैं।
क्या है आईएनएक्स मीडिया केस
यूपीए सरकार में वर्ष 2007 में पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे, तब उन्होंने 13 मार्च, 2007 को आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से 4.62 करोड़ रुपए के विदेशी निवेश की अनुमति मांगी थी। बाद 30 मई, 2007 को एफआईपीबी ने आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश की अनुमति दे दी। अब सीबीआई आईएनएक्स मीडिया केस में पी. चिदंबरम की भूमिका की जांच कर रही है।
15 मई, 2017 को एफआईपीबी से मिली स्वीकृति में गड़बड़ी के बाद पी. चिदंबरम पर रिश्वत लेने का मामला में एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने वित्त मंत्री रहने के दौरान वर्ष 2007 में आईएनएक्स मीडिया में 4.62 करोड़ रुपए के विदेशी निवेश की मंजूरी के बाद 305 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश करने के संबंध में अनियमितता बरती थी। ईडी ने काले धन को सफेद बनाने (मनी लॉन्डरिंग) को लेकर उनके ऊपर 2018 में मामला दर्ज किया था।
जब से चिदंबरम पर मामला दर्ज हुआ है तब से अभी तक वह कोर्ट से करीब दो दर्जन बार अंतरिम प्रोटेक्शन यानी गिरफ्तारी से बच चुके हैं। आईएनएक्स मीडिया केस में सीबीआई और ईडी पहले ही चिदंबरम के बेटे कार्ति को गिरफ्तार कर चुकी हैं, वह अभी जमानत पर हैं। इस मामले में अहम मोड़ तब आया, जब आईएनएक्स मीडिया की मालकिन और आरोपी इंद्राणी मुखर्जी 4 जुलाई को सरकारी गवाह बन गईं। इसी साल उनका स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड किया गया। सीबीआई के मुताबिक मुखर्जी ने गवाही दी कि उसने कार्ति चिदंबरम को 10 लाख रुपये दिए।