क्या है ‘सीडीएस’ जिसकी पीएम मोदी ने लाल किले से घोषणा की?

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73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। पीएम मोदी ने गुरुवार को अपने भाषण में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का विजन साझा किया। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं भी कीं। इनमें से एक है सीडीएस। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में 20 साल से सीडीएस व्यवस्था की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके बाद से ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल है कि आख़िर यह सीडीएस क्या होता है? हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं..

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क्या होता है सीडीएस?

सीडीएस का पूरा नाम ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ है। यह तीनों सेनाओं के ऊपर एक प्रमुख का पद होता है। तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए सीडीएस पद सृजित किया जाता है। सीडीएस के पास सैन्य सेवा का लंबा अनुभव और उपलब्धियां होना आवश्‍यक है। इस पद की जिम्‍मेदारी थल सेना, नौसेना या वायु सेना के अध्यक्ष को दी जा सकती है। इसकी जिम्‍मेदारी देश की सेनाओं को वर्तमान चुनौतियों के अनुरूप तैयार रखना और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए रूपरेखा तैयार करना होता है।

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पीएम ने CDS के लिए अपने भाषण में क्या कहा?

लाल किले पर ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी ने अपने भाषण में तीनों सेनाओं की मज़बूती और तालमेल पर काफी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘तेजी से बदलती तकनीक और वक़्त के साथ युद्ध के तरीके भी बदल रहे हैं। अब अगर कहीं भी युद्ध हुआ तो वो पहले से कई गुना भयावह होगा। इससे निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल होना आवश्यक है।’ प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘तीनों सेनाएं एक साथ चलें तभी काम चलेगा। अगर एक सेना आगे और बाकी सेनाएं उनके एक-एक कदम पीछे चल रहीं हैं तो काम नहीं चलेगा।’ पीएम मोदी ने कहा कि सुरक्षा विषय के जानकार लंबे समय से इस सिस्टम की मांग करते रहे हैं। उनकी मांग और सेना में बेहतर समन्वय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ की व्यवस्था की गई है। उन्होंने इसे वक़्त की बड़ी जरूरत बताया।

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अटल सरकार में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने भी की थी सिफ़ारिश

वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से सुरक्षा विशेषज्ञ सीडीएस पद सृजन करने की मांग करते रहे हैं। कारगिल वॉर के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी का प्रमुख उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को बनाया गया था। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की सिफ़ारिश पर तीनों सेनाओं के प्रमुख के तौर पर सीडीएस व्यवस्था लागू करने का प्रयास भी किया गया था। जीओएम ने अपनी सिफारिश में कहा था, अगर कारगिल युद्ध के दौरान ऐसी कोई व्यवस्था होती, जिससे तीनों सेनाएं बेहतर तालमेल से युद्ध में उतरतीं तो नुकसान काफी हद तक कम होता।

उस वक़्त तीनों सेनाओं के बीच इस पद पर सहमति नहीं बन पाई थी। वायु सेना ने इसका विरोध किया था। इसके बाद तीनों सेनाओं के समन्वय के लिए चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (CoSC) का पद सृजित किया गया, लेकिन इसके चेयरमैन के पास पर्याप्त शक्तियां नहीं थीं। इस कारण यह पद होते हुए भी प्रभावी नहीं था। फिलहाल वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन हैं। करीब 20 साल बाद अब मोदी सरकार ने सीडीएस पद की घोषणा की है।

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कई देशों में पहले से लागू, जनरल रावत हो सकते हैं पहले सीडीएस

पीएम मोदी ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए भले ही भारत में अब सीडीएस बनाए जाने की घोषणा की है, लेकिन दुनिया के कई देशों में यह व्यवस्था पहले से लागू है। अमरीका, चीन, यूनाइटेड किंगडम, जापान और नॉटो देशों की सेनाओं में सीडीएस पद काफ़ी पहले से सृजित किया गया है। इसे एकीकृत रक्षा प्रणाली का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है। प्रधानमंत्री ने इसकी घोषणा अब की है, लेकिन इसकी तैयारी पहली मोदी सरकार में शुरू हो गई थी। मोदी सरकार 1.0 में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर इसे लागू करने की पूरी तैयारी कर चुके थे, लेकिन उनका बीमारी के कारण निधन हो गया था। जिसके बाद अब जाकर इसकी घोषणा की गई है।

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प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद सीडीएस पद की रेस में सबसे आगे आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत का नाम माना जा रहा है। उनका कार्यकाल 31 दिसम्बर को पूरा हो रहा है। इस पद के सृजन, कार्यों व तौर तरीकों को सुनिश्‍चित करने के लिए एक शीर्ष स्‍तर की कमिटी का गठन होगा। इस साल के अंत तक यह कमिटी अपना काम करेगी। उल्लेखनीय है कि जब देश में ब्रिटिश शासन था, तब भारत के कमांडर इन चीफ फील्‍ड मार्शल क्‍लाउड आचिनलेक थे। उनके पास तीनों सेनाओं का अधिकार था। तब इस पोस्ट को ‘सुप्रीम कमांडर’ नाम दिया गया था।

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