विंग कमांडर अभिनंदन को भारत आए हुए कुछ ही दिन हुए है कि एक और मिग 21 पायलट ने शुक्रवार को बीकानेर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि पायलट सुरक्षित रूप से अपने विमान से इजेक्ट हो गया।
आपको बता दें कि लड़ाकू पायलटों को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसके कारण उन्हें विमान को छोड़ना पड़ता है या विमान से इजेक्ट करना पड़ता है। स्पाइन फ्रैक्चर वो आम चीज है जिसका सामना पायलट को करना पड़ता है। यह फ्रैक्चर स्टेबल भी हो सकता है और अनस्टेबल भी।
इजेक्शन और लैंडिंग दो घटनाएं हैं जब एक लड़ाकू पायलट को रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर का बड़ा खतरा होता है। सबसे आम चोट थेरेको लंबर जंक्शन (T10- L2) है जो एक कंप्रेशन फ्रैक्चर है। कंप्रेशन फ्रैक्चर दर्दनाक होता है लेकिन वे अधिकांश रोगियों में दीर्घकालिक परिणामों के साथ 12 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।
कम ऊंचाई से जब इजेक्शन होता है तो उनके पास उतना समय नहीं होता कि वे एक स्मूथ लैंडिंग के लिए डीटेलरेट कर सकें। एक हार्ड लैंडिंग से बहुत अधिक चोट लग सकती है। इस स्थिति में ये चोटें बेहद दर्दनाक होती हैं। पायलट खड़े होने या चलने तक नहीं पाता है।
पायलट के पैरों का मोटर फंक्शन डेमेज हो सकता है। जब ऐसी कोई चोट लगती है तो तुंरत पायलट को चिकित्सा की जरूरत पड़ती है इसके अलावा ठीक होने में कितना वक्त लगेगा यह तो सर्जरी पर ही निर्भर करता है।
कई मामलों में पायलट पहले जैसी ही नॉर्मल लाइफ में जा पाते हैं और कई उदहारण ऐसे भी देखे गए हैं जिनमें वे स्काई डाइविंग और एटीवी रेसिंग जैसे चुनौतीपूर्ण प्रयासों में भी लौट आए हैं।
एक पायलट को चोट या तो विमान से इजेक्ट करने में जो फोर्स लगाना पड़ता है उससे लगती है या फिर जब वो लैंडिंग करता है तब। इससे पायलट को पीठ के दर्द का अनुभव होता है।
एमआरआई और सीटी स्कैन की मदद से एक कंप्रेशन फ्रैक्चर का पता लगाया जा सकता है। यदि सिर्फ रीढ़ की छोटी चोट है तो दर्द शायद छह सप्ताह में ठीक हो जाएगा। इसके बाद भी पायलट को फिटनेस टेस्ट को वापिस पूरा करना होता है।