जम्मू और कश्मीर के कठुआ में आठ साल की एक लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले के सात आरोपियों में से छह को आज पठानकोट की एक विशेष अदालत ने दोषी ठहराया है। इन सात में से आरोपी विशाल को अदालत ने बरी कर दिया है। इन सभी दोषियों को सजा कितनी होगी इस पर फैसला शाम 4 बजे सुनाया जाएगा।
पठानकोट में एक विशेष फास्ट-ट्रैक अदालत द्वारा फैसला सुनाया गया है। पूर्व सरकारी अधिकारी सांजी राम को इस वारदात का मास्टरमाइंड माना जा रहा था। दोषी पाए गए अन्य लोगों में विशेष पुलिस अधिकारी और जांच अधिकारी भी शामिल हैं। सांजी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया गया है वहीं एक नाबालिग आरोपी पर अलग मुकदमा चल रहा है।
15 पन्नों की चार्जशीट के अनुसार 10 जनवरी, 2018 को आठ साल की लड़की का अपहरण कर लिया गया था और कठुआ जिले के एक छोटे से गाँव के मंदिर में कथित तौर पर बलात्कार के बाद उसे चार दिनों तक बहला-फुसलाकर रखा गया था और उसे फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस मामले ने पिछले साल जनवरी में पूरे देश में कोहराम मचा दिया था। जम्मू में कुछ ग्रुप्स ने आरोपियों के समर्थन में प्रदर्शन कर सभी को हैरान कर दिया था।
किन किन लोगों को मामले में दोषी ठहराया गया है-
सांजी राम- मुख्य आरोपी
आनंद दत्ता- असिस्टेंट सब इन्सपेक्टर
परवेश कुमार- ग्राम प्रधान
दीपक खजूरिया- एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर)
सुरेंद्र वर्मा- एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर)
तिलक राज- हेड कांस्टेबल
इसके अलावा एक नाबालिग आरोपी पर सुनवाई कठुआ कोर्ट में हो रही है।
इस मामले में कब क्या क्या हुआ-
बात 10 जनवारी 2018 की है ब जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले की रहने वाली आठ साल की बच्ची मवेशियों को चराने के दौरान लापता हो गई थी। बच्ची साना गांव की रहने वाली थी और उसका परिवार बकरवाल समुदाय से था।
इसके बाद 12 जनवरी 2018 को घटना की एफआईआर हीरानगर थाने में लड़की के पिता द्वारा करवाई गई। 17 जनवरी को लड़की का शव मिला और जांच में सामने आया कि लड़की के साथ दुष्कर्म किया गया था। इसके बाद 22 जनवरी को मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। 16 फरवरी ने मामला एक अलग ही दिशा में चला गया जब हिंदू एकता मंच नाम का संगठन मामले में आरोपी लोगों के समर्थन में सड़कों पर उतर आया।
2 मार्च को एक मंदिर के पुजारी के भतीजे को गिरफ्तार किया गया और एक बार फिर हत्या और दुष्कर्म मामले में आरोपी लोगों के समर्थन में रैली का आयोजन किया गया जिसमें भाजपा के दो नेता तक भी शामिल हुए थे।
9 अप्रैल को पुलिस ने उन वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जो अदालत के बाहर पुलिस को आरोप-पत्र दाखिल करने रोकने की कोशिश कर रहे थे।
आम जनता के आक्रोश के बाद 14 अप्रैल को आरोपियों के समर्थन में रैली में बाहर निकलने वाले बीजेपी नेताओं ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पठानकोठ में शिफ्ट कर दिया था।