भारत के लिए मानसून की शुरुआत में देरी का क्या मतलब है?

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केरल में मनसून की शुरुआत आखिरकार 8 जून को हुई। इसकी सामान्य तारीख 1 जून मानी जा रही थी लेकिन इसमें देरी का सामना करना पड़ा। आईएमडी ने पिछले महीने ही भविष्यवाणी की थी कि इस साल मानसून की शुरुआत में देरी होगी।

भारत में चार महीने जून-सितंबर तक मानसून के मौसम की शुरुआत होती है और पूरे भारत की साल भर की 70 प्रतिशत बारिश इसी समय के दौरान होती है।

हालांकि मानसून की शुरूआत का आने वाली बारिश के मौसम की गुणवत्ता और मात्रा पर कोई असर नहीं पड़ता है। यह सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून की प्रगति के दौरान होने वाली घटना है।

आईएमडी ने यह सुनिश्चित किया है कि देश के अधिकांश उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में जहां केवल जून के अंत और जुलाई की शुरुआत में वर्षा होती है वहां पर समय पर मानसून की बारिश होगी। लेकिन दक्षिणी और मध्य भारत जहां जून के पहले, दूसरे और तीसरे सप्ताह में सामान्य मानसून आता है जाहिर तौर पर वहां बारिश में देरी होगी।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में आमतौर पर 15 और 20 मई के बीच मानसून की वर्षा शुरू होती है, और केरल तट पर आमतौर पर मई के अंतिम सप्ताह में मानसून की वर्षा शुरू होती है। लेकिन इस बार देरी का सामना करना पड़ा है।

केरल तट पर मानसून की शुरुआत में देरी का मतलब यह भी है कि जून में कम बारिश की संभावना हो सकती है। लेकिन आईएमडी ने भविष्यवाणी की है कि इस कमी में से कुछ जुलाई और अगस्त में पूरी हो सकती है और मौसमी बारिश सामान्य की लगभग 96 प्रतिशत होगी। सामान्य मानसून के मौसम में भारत को लगभग 89 सेमी वर्षा प्राप्त होती है।

चार महीने के मानसून के मौसम के दौरान भारत में होने वाली वर्षा की कुल मात्रा और वर्षा का क्षेत्रीय वितरण मानसून की शुरुआत की तारीख से प्रभावित नहीं होता है।

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