वर्ल्ड कप 2019 में “बारिश” सबसे ज्यादा मैच जीत रही है, अब इसका हल क्या हो?

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क्रिकेट वर्ल्ड कप अपने चरम पर है लेकिन इस बार मैचों पर पानी भी बहुत ही ज्यादा फिर रहा है। गुरुवार को ट्रेंट ब्रिज में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत मैदान में उतरने वाली थी। ये टूर्नामेंट का चौथा ऐसा मैच था जिसे बारिश की वजह से रद्द कर दिया गया और तीसरा ऐसा मैच था जिसमें एक गेंद तक नहीं फेंकी गई।

इतिहास की बात करें तो 2019 ने 1992 और 2003 के विश्वकप रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। इस साल सबसे ज्यादा मैच बारिश की वजह से धुल रहे हैं। फैंस इसको लेकर काफी निराश नजर आ रहे हैं। वैसे क्रिकेट अक्सर बारिश की मार झेलता ही है। ऐसे में कुछ फैंस और कई एक्सपर्ट बारिश से निपटने के लिए कई तरह के उपाय बता रहे हैं आइए जानते हैं ये उपाय कितने कारगर हैं।

एक छत ही बना डालो

अक्सर ये उपाय तो सुझाया ही जाता है। मुख्य रूप से विम्बलडन(टेनिस टूर्नामेंट) में बारिश के वक्त एक छत का उपयोग किया जाता है। लेकिन क्रिकेट के मैदान पर छत डालना बहुत अधिक जटिल और महंगा होगा। टेनिस स्टेडियम छोटे होते हैं और ज्यादा ऊंचाई की जरूरत भी नहीं होती जबकि इंग्लैंड और वेल्स में क्रिकेट के मैदान अलग-अलग आकार के होते हैं। अगर विम्बलडन जैसी छतों को बनाया जाता है तो इंग्लैंड के मैदानों में अनुमानित 100 मिलियन यूरो और 70 मिलियन यूरो का खर्चा आ सकता है।

ग्यारह क्रिकेट मैदानों पर छतों का निर्माण करना बहुत ज्यादा महंगा पड़ता है। छत को लगाने से पहले मैदान को इस तरह का बनाना होगा ताकि वो छत को संभाल पाए।

पूरे ग्राउंड को एक तिरपाल से ढ़क दो

यदि आपने पिछली सर्दी में इंग्लैंड के श्रीलंका दौरे को देखा था तो आपने ग्राउंडस्टाफ को बारिश होने पर पूरे मैदान को एक बड़े तिरपाल से कवर करते देखा होगा।

आउटफील्ड पर गीले पैच इससे रोके जा सकते हैं और इसका मतलब यह है कि बारिश के रुकने के साथ ही फिर से खेलना शुरू किया जाना चाहिए। न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम मैदान पर नहीं लौट सकी क्योंकि मिट्टी वाला एरिया काफी ज्यादा गीला हो चुका था।

पिछले दिनों बारिश के कारण देर से शुरू होने वाले मैच में इसका उपयोग किया जा सका,तो क्यों न कुछ बड़े तिरपालों में निवेश किया जाए?

इस तिरपाल वाले सिस्टम को सफल होने के लिए बहुत सारे आधार की आवश्यकता है और यहां पर आवश्यक लोगों की डिमांड को रोजगार देने में सक्षम नहीं हो सकते।

इस तरह के कवर का इस्तेमाल ब्रिटेन में पहले भी किया जा चुका है। एजबेस्टन में 1981 से 2001 तक ‘ब्रम्ब्रेला’ था लेकिन ईसीबी द्वारा इस पर बैन लगा दिया गया क्योंकि इससे पिच पर पसीना ज्यादा हो रहा था और पिच खराब होने का भी खतरा था।

रिजर्व डे

रिजर्व डे का मतलब यह है कि मौसम विभाग की मदद ली जाए और जिस दिन बारिश ना हो उस दिन मैच करवाया जाए। पिछली बार 1999 में इंग्लैंड को विश्व कप की मेजबानी के लिए रिजर्व दिनों का उपयोग किया गया था लेकिन इस बार के ग्रुप मैचों के दौरान ऐसा नहीं किया गया सिर्फ सेमीफाइनल और फाइनल के लिए रिजर्व डे का इस्तेमाल किया गया है।

आईसीसी के मुख्य कार्यकारी डेविड रिचर्डसन ने कहा कि रिजर्व दिनों को खोजना काफी मुश्किल होगा। और पहले से ही लंबे टूर्नामेंट और भी ज्यादा लंबा हो जाएगा।

एक काम करो बारिश में ही खेल लो

बारिश काफी हद तक खेल की परिस्थितियों को बदल देती है और इससे किसी एक टीम को अनुचित लाभ या हानि होती है। गेंदबाजों के लिए गेंद को पकड़ पाना लगभग असंभव हो जाता है और फिसलन से बाहर मैदान पर फील्ड करना खतरनाक होता है।

इंग्लैंड और वेल्स में विश्व कप  खेलो ही मत

इसका जवाब तो यही है कि दूसरे देशों में कौनसी बारिश नहीं होती है। आपको पता है ना ये बात तो?

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