करीब 135 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में सर्वाधिक प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों का है। किसी समय भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान कृषि का था। यहां आज भी बड़ी आबादी खेती और पशुपालन पर निर्भर है। कृषि उत्पादन के मामले में हम विश्व में दूसरे स्थान पर है। लेकिन नए आंकड़े बताते हैं कि यह देश अब अपनी विकास की यात्रा में काफी आगे निकल गया है। विकसित देशों की तरह अब भारत का द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों का योगदान जीडीपी में लगातार बढ़ता जा रहा है। इन सब के बीच भारत में आर्थिक असमानता बहुत ही ज्यादा है। हालिया अध्ययन के आंकड़े इस बात को सही साबित करते दिख रहे हैं। आइए हम आपको बताते हैं देश की कुल संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा किसके पास है..
कुल संपत्ति का 41 फीसदी उनके पास जिनकी जनसंख्या 25 प्रतिशत से कम
सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ दलित स्टडीज, दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि देश की कुल संपत्ति का 21 फीसदी हिस्सा उन सवर्ण हिंदुओं के पास है जिनकी जनसंख्या 25 प्रतिशत से भी कम है। करीब दो साल तक चले इस अध्ययन की अवधि 2015 से 2017 के बीच रही। स्टडी के लिए लिए देश के विभिन्न राज्यों के 1.10 लाख परिवारों के एनएसएसओ डेटा को आधार बनाया गया है। इन संस्थानों द्वारा ‘वेल्थ ओनरशिप एंड इनइक्वलिटी इन इंडिया: अ सोशियो-रिलीजियस एनालिसिस’ शीर्षक वाली इस स्टडी में सामने आया है कि अनुसूचित जाति (एससी) के लोगों के मुकाबले हिंदुओं की उच्च जातियों यानी सवर्णों के पास चार गुना ज्यादा संपत्ति है।
इस अध्ययन के मुताबिक, देश में सवर्ण हिंदूओं की कुल जनसंख्या में हिस्सेदारी 22 फीसदी है। लेकिन कुल संपत्ति के मामले में उनका हिस्सा इससे दोगुना यानी करीब 41 फीसदी है। स्टडी के अनुसार हिंदू अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 35.66 फीसदी है और उनकी कुल संपत्ति में हिस्सेदारी 31 प्रतिशत तक है। वहीं, एसटी और एससी वर्ग की कुल जनसंख्या देश की आबादी में 27 फीसदी है, लेकिन संपत्ति में हिस्सेदारी 11.3 प्रतिशत ही है।
महाराष्ट्र देश में सबसे अमीर राज्य
अध्ययन के अनुसार देश का सबसे अमीर राज्य महाराष्ट्र है। रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक देश की कुल संपत्ति का 17.5 फीसदी हिस्सा महाराष्ट्र में, 11.6 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश, 7.4 फीसदी केरल, 7.2 प्रतिशत तमिलनाडु और 6 फीसदी हिस्सा हरियाणा में है। देश में अगर सबसे कम संपतित वाले गरीब लोगों की बात करें तो इसमें ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों के नाम सामने आए हैं। स्टडी में यह माना गया है कि देश में संपत्ति के दो प्रमुख वर्ग जमीन और मकान-इमारत माने जाते हैं। इनका कुल संपदा में हिस्सा करीब 90 फीसदी है। देश में जो असमानता है, उसमें 83 फीसदी हिस्सा इन्हीं दो वर्ग से है। भारत को दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक माना जाता है।
20 फीसदी सबसे ज्यादा गरीब परिवारों के पास दो फीसदी संपदा
देश में हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्यों में कुल संपत्ति का 70 फीसदी हिस्सा शीर्ष 20 फीसदी परिवारों के पास है। वहीं, दूसरी ओर गरीब राज्यों में शामिल ओडिशा, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों के 20 प्रतिशत सबसे ज्यादा गरीब परिवारों के पास महज 2 फीसदी ही संपदा है। इस अध्ययन के अलावा हालिया ऑक्सफैम की एक स्टडी में भी यह दावा किया गया था कि देश के शीर्ष 1 फीसदी अमीर लोग 73 फीसदी संपत्ति के मालिक है। पिछले एक साल में देश के शीर्ष अमीरों की संपत्ति में 20.9 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है।
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