कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के कई मामलों में देखा गया है कि परिवारजन तक उस व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए शव को हाथ लगाने से बचते रहे हैं। हालांकि, ताज़ा रिसर्च में सामने आया है कि कोरोना संक्रमण की वजह से किसी मरीज की मौत होने के बाद वायरस निष्क्रिय हो जाता है। साथ ही इसके जरिए और लोगों के संक्रमित होने की आशंका भी खत्म हो जाती है, लेकिन एहतियात के तौर पर संक्रमित व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार प्रोटोकॉल के जरिए ही करना आवश्यक है।
संक्रमित की मौत के 24 घंटे बाद नाक-मुंह में संक्रमण नहीं मिला
राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स के फॉरेसिंक विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में पता लगाया है कि अगर किसी कोरोना संक्रमित मरीज की मौत हो जाती है तो 24 घंटे बाद उसके नाक या मुंह में कोरोना संक्रमण नहीं मिला है। इस बारे में अध्ययन के दौरान एम्स के डॉक्टरों ने 100 व्यक्तियों के शवों पर परीक्षण किया था। इन सभी की जान कोरोना संक्रमण की वजह से गई थी। इनकी मौत के बाद जब शवों की कोरोना जांच की गई तो वो सभी निगेटिव पाए गए।
मौत के कुछ घंटे बाद एहतियात रखना बहुत जरूरी
एम्स के फॉरेसिंक विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर कुमार गुप्ता ने बताया कि शवों के जरिए कोरोना संक्रमण फैलने जैसी चर्चाओं पर तथ्य एकत्रित करने के लिए एक पायलट अध्ययन किया गया था। इस दौरान देखा गया कि जिन लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है, उनकी मौत के ठीक एक दिन बाद गले और नाक से स्वैब लेकर जांच की गई जिसमें पता चला कि संक्रमित व्यक्ति के शव में कोरोना वायरस नहीं है। हालांकि, मौत के कुछ घंटे बाद तक शव से निकलने वाले आंतरिक तरलीय पदार्थ को लेकर ऐहतियात रखना बहुत जरूरी है। भारत सरकार ने इसके लिए एम्स के फॉरेसिंक स्पेशलिस्ट की सलाह पर दिशा-निर्देश बनाए हैं।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति की कोरोना संक्रमण से मौत होती है तो उसकी नाक में रुई लगाकर और एक मोटी परत वाली पॉलीथिन में लपेट दिया जाए तो संक्रमण दूसरों में फैलने का खतरा नहीं रहता है। यह अध्ययन ऐसा वक्त में सामने आया है जब दिल्ली समेत कई शहरों में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद उसके परिवार के सदस्य शव को श्मशान घाट पर छोड़कर चले जा रहे हैं या किसी गरीब व्यक्ति को पैसों का लालच देकर शव का अंतिम संस्कार करा रहे हैं।
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