विजेंदर सिंह ने ओलंपिक में पदक जीतकर बनाया था कीर्तिमान, ड्रग मामले में हुई छवि खराब

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ओलंपिक पदक विजेता व भारतीय पेशेवर मुक्केबाज विजेंदर सिंह आज 29 अक्टूबर को अपना 37वां जन्मदिन मना रहे हैं। विजेंदर ने बीजिंग ओलंपिक (2012) में मुक्केबाजी स्पर्धा में कांस्य पदक अपने नाम किया था। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने थे। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी में शानदार प्रदर्शन करने पर विजेंदर को ‘खेल रत्न पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया। वह खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले एमसी मैरी कॉम के साथ पहले बॉक्सर हैं। इनका प्रोफेशनल बॉक्सिंग करियर में अब तक बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा है। विजेंद्र सिंह राजनीति से भी जुड़े हुए हैं और कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इस ख़ास मौके पर जानिए इनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…

Vijender-Singh-Wife

बस ड्राइवर पिता के घर में हुआ जन्म

बॉक्सर विजेंदर सिंह का जन्म 29 अक्टूबर, 1985 को हरियाणा में भिवानी के पास कालूवास गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम महिपाल सिंह बेनीवाल था, जो हरियाणा रोडवेज में बस ड्राइवर थे। वहीं माता कृष्णा देवी गृहणी हैं। उनका एक बड़ा भाई है जिसका नाम मनोज है। मनोज पूर्व बॉक्सर और वर्तमान में भारतीय सेना में कार्यरत है। विजेंदर ने 17 मई, 2011 को अर्चना सिंह से शादी की, जिनसे उन्हें दो बेटे हैं। उनके दोनों बेटों का नाम ​अबीर और अमरिक सिंह हैं।

विजेंदर की प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुईं। इसके बाद उन्होंने माध्यमिक स्तर व स्नातक की पढ़ाई भिवानी से पूरी की। इस दौरान साल 1990 में भारतीय मुक्केबाज राजकुमार सांगवान के ‘अर्जुन अवॉर्ड’ जीतने से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुक्केबाजी में अपना कॅरियर बनाने की सोच ली और उसे बखूबी कर दिखाया।

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घरवालों की मदद के लिए बॉक्सिंग में बनाया कॅरियर

बचपन में विजेंदर सिंह आर्मी में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए उन्होंने बॉक्सिंग में अपना कॅरियर बनाने की सोची। कॉलेज के समय से ही विजेंदर को मुक्केबाजी करने का शौक था। वह कई बार अपने दोस्तों के साथ कुश्ती और मुक्केबाजी के मुकाबले देखने भी जाया करते थे। विजेंदर ने मुक्केबाजी का अभ्यास ‘भिवानी मुक्केबाजी क्लब’ से शुरू किया था। जहां उस समय के राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज जगदीश सिंह युवाओं को ट्रेनिंग दिया करते थे। उन्होंने ही विजेंदर की प्रतिभा को निखारने का काम किया और मुक्केबाजी के गुर सीखाए।

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राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्वर्ण पदक जीत चौंकाया

विजेंदर के कॅरियर की शुरुआत स्टेट लेवल पर जीत के साथ हुई थी। वर्ष 2000 में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपना पहला स्वर्ण पदक जीत कर सभी को चौंका दिया था। विजेंदर सिंह साल 2003 में आल इंडिया यूथ बॉक्सिंग चैंपियन बने थे। वर्ष 2003 में ही ‘अफ्रो-एशियाई गेम्स’ में जूनियर मुक्केबाज होने के बावजूद विजेंदर ने ट्रायल चयन में भाग लिया और वे चुने गए। वहां उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया। इस तरह विजेंदर के कॅरियर की शुरुआत हुईं। वह माइक टाइसन और मोहम्मद अली जैसे मुक्केबाजों से काफी प्रेरित थे।

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ऐसा रहा विजेंदर का ओलंपिक में प्रदर्शन

वर्ष 2004 में हुए एथेंस ओलंपिक में विजेंदर सिंह ने मुक्केबाजी स्पर्धा के वेल्टरवेट वर्ग में भाग लिया था, लेकिन वह तुर्की के मुस्तफा करागोल्ला से 20-25 के स्कोर से हार गए थे। साल 2007 में विजेंदर नए स्किल सीखने के लिए जर्मनी गए और उन्होंने वहां पर अभ्यास किया।

इसके बाद वह साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक में क्वालीफाई करने में सफल रहे और ‘बीजिंग ओलंपिक खेल’ में विजेंदर सिंह ने भारत को मिडिलवेट वर्ग में कांस्य दिलाया। विजेंदर भारत के पहले ऐसे मुक्केबाज़ बने, जिन्होंने ओलंपिक में मुक्केबाजी में पदक जीता। वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल में हारने के साथ ही विजेंदर के पदक जीतने की उम्मीद खत्म हो गई थी।

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कॉमनवेल्थ गेम्स में जीते चार मेडल

साल 2006 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स) में विजेंदर ने भाग लिया और फाइनल में प्रवेश करने के साथ देश के लिए पदक तो निश्चित किया। परंतु फाइनल में उनकी हार हो गई और रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। विजेंदर ने वर्ष 2010 में दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। साल 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में वह कांस्य पदक जीते। वर्ष 2014 में विजेंदर ने ग्लासगो (स्कॉटलैण्ड) में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता।

एशियाई खेलों में जीता गोल्ड मेडल

साल 2006 के एशियाई खेलों में उन्होंने कांस्य पदक जीता।

वर्ष 2010 में एशियाई खेलों में विजेंदर ने मिडिलवेट वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।

विजेंदर विश्व एमेच्योर मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाले भी पहले भारतीय हैं और इसमें उन्होंने 2009 में कांस्य पदक जीता।

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इन अवॉर्ड्स से सम्मानित हैं विजेंदर

बीजिंग ओलंपिक में भारत को मुक्केबाजी का पहला कांस्य पदक दिलाने वाले विजेंदर को वर्ष 2009 के ‘खेल रत्न अवॉर्ड’ से नवाज़ा गया था। साल 2009 में ही उन्हें बॉक्सिंग में योगदान के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया।

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साल 2015 में शुरू की पेशेवर मुक्केबाजी

विजेंदर सिंह ने 10 अक्टूबर, 2015 को सोनी व्हिटिंग के खिलाफ अपनी पहली प्रोफेशनल बॉक्सिंग फाइट लड़ी और टीकेओ (TOK) से उसमें जीत दर्ज की। विजेंदर ने प्रोफेशनल बॉक्सिंग में अब तक 13 मुकाबले लड़े हैं और उन्होंने 13 में जीत दर्ज की है। उन्होंने अपनी प्रोफेशनल मुक्केबाजी के 10वें मुकाबले में घाना के अर्नेस्ट एमुजु को WBO एशिया पैसेफिक और ओरिएंटल टाइटल पर कब्जा जमाया। यह मुकाबला जयपुर के सवाई मानसिंह इंडोर स्टेडियम में हुआ। वह 8 मुकाबलों में नॉकआउट से जीते और 3 मुकाबलों में निर्णय उनके पक्ष में रहा।

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‘बिग बॉस’ और बॉलीवुड में फिल्मों में भी आए नज़र

पूर्व भारतीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह फिल्मों में अभिनय भी कर चुके हैं। साल 2011 में विजेंदर साउथ फिल्मों के निर्देशक आनंद की एक फिल्म ‘पटियाला एक्सप्रेस’ में अभिनय करने वाले थे। हालांकि, यह फिल्म किसी निजी कारण बंद हो गई थी। विजेंदर ने साल 2014 में अक्षय कुमार द्वारा निर्मित फिल्म ‘फुग्ली’ से अपना अभिनय डेब्यू किया था। इस फिल्म ने बॉक्स-ऑफिस पर ठीक-ठाक कमाई की थी।

ड्रग विवाद में नाम आने के बाद हुई किरकिरी

6 मार्च, 2012 को चंडीगढ़ के पास एक NRI रेजीडेंसी में पंजाब पुलिस ने 26 किलो हेरोइन और कुछ अन्य दवाएं ज़ब्त कीं। पंजाब पुलिस के मुताबिक, ड्रग्स जिस कार से बरामद हुई, वो कार विजेंदर सिंह की पत्नी के नाम थीं। कार ड्रग डीलर अनूप सिंह कोहली के घर के बाहर मिली थी। कुछ समय बाद पंजाब पुलिस ने विजेंदर सिंह की भी जांच कराईं। जांच में पता चला कि विजेंदर ने 12 बार ड्रग्स लिए थे। पुख्ता सबूत के लिए पुलिस ने विजेंदर के बाल और खून को जांच के लिए भेज दिया, पर साल 2013 में नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी ने विजेंदर को ‘ऑल क्लीन’ का प्रमाण देकर दोष मुक्त कर दिया।

Vijender-Singh-Congress

साल 2019 में आमचुनाव के बीच राजनीति में उतरे विजेंदर

प्रोफेशनल बॉक्सर विजेंदर सिंह ने साल 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस ज्वॉइन करते हुए अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इस चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें साउथ दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा, लेकिन विजेंदर को अपने पहले ही चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, वह अभी भी कांग्रेस से जुड़े हैं।

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