भारत के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार की महिला, पहली महिला मंत्री व प्रथम महिला राजदूत व आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की आज 1 दिसंबर को 33वीं पुण्यतिथि है। विजयलक्ष्मी को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी करने वाली अहम महिलाओं में से एक माना जाता है। विजयलक्ष्मी अपने बोल्ड फैसले लेने की क्षमता के लिए खास पहचान रखती थी। वह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनयिक व राजनीतिज्ञ थीं। इस अवसर पर जानिए विजयलक्ष्मी पंडित के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
नेहरू खानदान की सबसे मजबूत महिला
विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त, 1900 में इलाहाबाद के सबसे रसूखदार नेहरू परिवार में हुआ था। देश के मजबूत राजनीतिक परिवार में पैदा होने के कारण विजय लक्ष्मी ने शुरू से ही राजनीतिक गुर सीख लिए थे। इसके अलावा कई आंदोलनों और सरकारी पदों में सक्रिय रोल निभाया।
UN जनरल असेंबली की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला
– विजय लक्ष्मी पंडित जन्म का नाम स्वरूप कुमारी नेहरू था।
– स्वरूप कुमारी ने साल 1921 में रंजीत सीताराम पंडित से विवाह किया, जिसके बाद इन्होंने अपना नाम बदलकर विजय लक्ष्मी पंडित कर लिया।
– भारत के आजादी संग्राम में काम करने के बाद आजाद भारत में विजय लक्ष्मी पंडित को संयुक्त राष्ट्र में भारत की तरफ से प्रतिनिधि बनाकर भेजा गया था।
– राजनीतिक समझ के साथ ही विजय लक्ष्मी ने सरकारी विभागों में भी अपना कौशल दिखाया। वो रूस और ब्रिटेन की राजदूत भी रहीं।
– संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला का गौरव भी विजय लक्ष्मी को हासिल है।
– विजय लक्ष्मी ने साल 1975 में अपनी भतीजी इंदिरा गांधी के लगाए गए आपातकाल के मुखर विरोधियों में से एक थी। इंदिरा का विरोध करने के कारण घर में दोनों के बीच रिश्ते काफी बदल गए थे।
– विजय लक्ष्मी पंडित ने राजनीतिक परिवार से होते हुए भी साल 1977 में कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया।
– राजनयिक व राजनीतिज्ञ विजयलक्ष्मी पण्डित का निधन उत्तराखंड के देहरादून में 1 दिसंबर, 1990 को हुआ।
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