भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेत्री, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जन्म अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन आता है। आज वसुंधरा राजे अपना 70वां जन्मदिन मना रही हैं। इनका जन्म 8 मार्च, 1953 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर राजघराने में हुआ था। शाही खानदान से ताल्लुक रखने वाली राजे का बचपन मुंबई में बीता। महाराजा जीवाजी राव सिंधिया पिता और राजमाता विजया राजे सिंधिया इनकी मॉं थीं।
राजनीति में अपना अलग रुतबा रखने वाली वसुंधरा का राजनीतिक करियर कई उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरा। जहां इन्हें प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ, वहीं विपक्षी खेमे में वो ‘महारानी’ के नाम से भी जानी गईं। इस ख़ास अवसर पर जानिए वसुंधरा राजे के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
शादीशुदा ज़िंदगी नहीं चढ़ सकी परवान
वसुंधरा राजे की शादी करीब 20 साल की उम्र में धौलपुर राजघराने के महाराजा हेमंत सिंह से हुई थी। शादी के कुछ ही साल बाद इकलौते बेटे दुष्यंत सिंह का जन्म हुआ। बेटे के जन्म के बाद ही दोनों की शादीशुदा ज़िंदगी में खींचतान शुरू हो गई थीं। आपसी खटपट बढ़ने लगी तो दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए। राजे को राजस्थान से लगाव शादी के बाद हुआ था।
1984 में शुरू हुआ राजनीतिक जीवन
वर्ष 1984 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल होने के साथ ही वसुंधरा राजे के राजनीतिक जीवन की शुरुआत हो गई थी। इसके अगले साल वर्ष 1985 में अपने ही ससुराल की धौलपुर विधानसभा सीट से उन्होंने एमएलए का चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बनीं। बाद में वे वर्ष 1987 में राजस्थान प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष बनाई गईं।
बारां-झालावाड़ सीट से 5 बार पहुंची लोकसभा
साल 1989 में वसुंधरा राजे पहली बार बारां-झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंची और केंद्र की राजनीति की शुरुआत की। उसके बाद वे लगातार पांच बार वर्ष 1991, 1996, 1998 और 1999 के आम चुनाव में जीती और क्षेत्र की जनता की आवाज़ को लोकसभा तक पहुंचाया। राजे के आने से पहले बारां-झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र काफ़ी पिछड़ा हुआ माना जाता था।
वाजपेयी सरकार में केंद्र मंत्रिमंडल में मिली जगह
वर्ष 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में वसुंधरा राजे को मंत्रिमंडल जगह मिली। राजे ने सबसे पहले विदेश राज्यमंत्री का कार्यभार संभाला। इसके अलावा वे लोकसभा में कई कमेटियों की सदस्य भी रहीं। भैरोंसिंह शेखावत के राजस्थान की राजनीति से जाने के बाद राजे ने राजस्थान में भाजपा राज्य इकाई का नेतृत्व किया। इस दौरान उन्होंने पूरे राजस्थान में विधानसभा वार यात्रा कर पार्टी को मजबूत करने का काम किया और लोगों की बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही।
राजस्थान की पहली महिला सीएम बनकर रचा इतिहास
वर्ष 2003 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले भारी बहुमत के बाद पार्टी हाईकमान ने उन्हें प्रदेश की कमान सौंपी। इसी के साथ वसुंधरा राजे को राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव भी हासिल हुआ। उन्होंने प्रदेश में पूरे 5 साल सरकार चलाई, लेकिन पार्टी को लगातार दूसरी बार सत्ता में लाने में कामयाब नहीं रहीं। इसके बाद साल 2013 का विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे के नेतृत्व में लड़ा गया, जिसमें बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला और दौ सौ में से 160 से ज्यादा सीटें हासिल कीं। राजस्थान की जनता ने राजे में विश्वास दिखाया और इस तरह उन्हें दूसरी बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में राजे सरकार सत्ता में वापसी करने में सफ़ल नहीं रहीं। वर्तमान में वसुंधरा राजे झालरापाटन विधानसभा सीट से विधायक हैं। राजे के इकलौते बेटे दुष्यंत सिंह साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान की बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट से लगातार चौथी बार सांसद चुने गए। हालांकि, उन्हें अबतक केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली पाई हैं। लेकिन वह कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे हैं।
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