फजीहत के बुरे दौर में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI, ये है रोचक इतिहास

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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बाद फिलहाल देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई हर किसी के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। सीबीआई के भीतर और बाहर आए दिन सामने आते नए विवादों के बाद इसकी साख पर सवाल उठने लगे हैं। जहां सीबीआई के खस्ताहाल को लेकर लोग चिंतित हैं तो अवसरवादी राजनीति हर रोज इसे अपना शिकार बना रही है।

कुछ दिनों पहले चर्चा में रहा सीबीआई डायरेक्टर विवाद जिसमें आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की कलह खुलकर सामने आई जिसके बाद सरकार का हस्तक्षेप भी इस मामले में देखा गया। इससे बाद आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप मामले में सीबीआई की काफी किरकिरी हुई। और अब ताजा पश्चिम बंगाल सरकार और सीबीआई के बीच हुए टकराव की चर्चाएं अभी पूरी तरह से थमी नहीं है।

ऐसे में हम आज आपको बताते हैं कि कैसे सीबीआई बनी और कैसा रहा इसका इतिहास

कब हुई स्थापना ?

सीबीआई भारत में राज करने वाले ब्रिटिशों की देन है। 1941 में ब्रिटिश सरकार ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुए भ्रष्टाचार और घूसखोरी के मामलों की जांच के लिए स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट बनाया। युद्ध खत्म हुआ लेकिन इसके बाद दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट के तहत  इस एजेंसी का संचालन जारी रहा। सीबीआई को शुरूआती तौर पर भ्रष्टाचार के मामले सौंपे गए लेकिन समय बीतने के साथ इसकी जांच का दायरा बढ़ता गया।

1963 में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक प्रस्ताव पास किया जिसमें स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट का नाम बदलकर सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई कर दिया गया।

सीबीआई बनने के बाद जांच के दायरे बढ़े

सीबीआई के दायरे को साल दर साल बढ़ाया जाता रहा। भ्रष्टाचार के मामलों के बाद सीबीआई आर्थिक अपराध और धोखाधड़ी के हाई प्रोफाइल मामलों की जांच भी करने लगी। आगे चलकर इसकी दो शाखाएं बनाई गई जिसमें भ्रष्टाचार निरोधी (ऐंटी करप्शन) डिविजन पहली और दूसरी स्पेशल क्राइम डिविजन रखी गई।

सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट

अगर कोई राज्य सरकार अपने किसी मामले में सीबीआई जांच की मांग करता है तो सीबीआई बिना केंद्र की अनुमति के जांच शुरू नहीं कर सकती है। वहीं सीबीआई के संविधान के मुताबिक अगर राज्य या केंद्र सरकार सहमति देते हैं तो ही मामले की जांच शुरू की जाती है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट या राज्यों के हाई कोर्ट भी सीबीआई को जांच के लिए आदेश जारी कर सकते हैं।

सीबीआई डायरेक्टर

सीबीआई डायरेक्टर को एक विशेष प्रक्रिया के तहत नियुक्त किया जाता है। इसके लिए एक कमेटी बनाई जाती है जिसमें पीएम, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होते हैं। वहीं डायरेक्टर को आसानी से हटाया भी नहीं जा सकता है। 1997 तक सीबीआई डायरेक्टर को सरकार सीधे बर्खास्त कर सकती थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद कार्यकाल कम से कम दो साल का कर दिया और स्वतंत्रता बढ़ा दी।

कुछ और रोचक तथ्य

  1. सीबीआई डीओपीटी यानी डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग (कार्मिक प्रशिक्षण) विभाग के अधीन आती है। वहीं रोचक तथ्य यह है कि फिर भी सीबीआई में कोई भी आईएएस अधिकारी नहीं होता है।
  2. सीबीआई अधिकारियों को कोई खास किस्म की वर्दी पहनने की जरूरत नहीं होती है।
  3. दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट में सीबीआई का उल्लेख नहीं है फिर भी सालों से सीबीआई इसी ऐक्ट के तहत काम करती आई है।
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