भारत की एक ओर धरोहर कैलाश मानसरोवर यात्रा का भारतीय हिस्सा यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में अस्थायी तौर पर शामिल कर लिया गया है। इस बात की पुष्टि भारत के संस्कृति मंत्रालय ने की है। मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय पुरातत्व विभाग ने 15 अप्रैल, 2019 को एक प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा गया था, जिसके तहत कैलाश मानसरोवर को प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर के वर्ग में शामिल किए जाने का अनुरोध किया गया था।
कैलाश मानसरोवर का क्षेत्र भारत सहित पूर्व में नेपाल से और उत्तर में चीन की सीमाओं से घिरा हुआ है। भारत में करीब 6,836 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र इसकी यात्रा के अंतर्गत आता है। यह भारतीय हिस्सा 31 हजार किलोमीटर के उस वृहद क्षेत्र का हिस्सा है, जिसे चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के ‘पवित्र कैलाश प्रदेश’ के तौर पर जाना जाता है। इसका कुछ हिस्सा नेपाल के पश्चिमी हिस्से के चीन से जुड़े जिलों में भी फैला है।
क्यों शामिल की जाती है प्राचाीन धरोहरों को यूनेस्को सूची में
यूनेस्को विश्व विरासत स्थल सूची में दुनिया भर के प्राचीन स्मारक, भवन, शहर या वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल इत्यादि को शामिल किया जाता है, जो विश्व संस्कृति के दृष्टिकोण से मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण है। इनका चयन विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा किया जाता है। जिनका चयन इस सूची में होता है उन स्थलों के संरक्षण व सार—संभाल के लिए यूनेस्को की यह समिति आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाती है।
इस सूची में शामिल धरोहर उस देश की ही संपत्ति होती है, जिसमें वह धरोहर स्थित है, परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में निहित होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें।