अमेठी में बनेंगी अत्याधुनिक एके-203 राइफल, जानिए.. पीएम मोदी के जिक्र वाली इस राइफल की खासियतें

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दुनिया के सबसे ज्यादा हथियार खरीदार देशों में से एक भारत अब वेपंस का निर्यात भी करेगा। ‘मेड इन इंडिया’ के तहत बनने वाले विभिन्न प्रकार के हथियार अब कई देशों को सप्लाई किए जाएंगे। उत्तर का अमेठी लोकसभा क्षेत्र वैसे तो कांग्रेस के गढ़ के रूप में अपनी खास पहचान रखता है लेकिन अब यह विश्व की सबसे अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल्स में से एक एके-203 राइफल निर्माण के लिए भी विशेष रूप से जाना जाएगा। अमेठी जिले के कोरवा में ये राइफलें बनेंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अमेठी में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का उद्घाटन किया।

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इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि मेड इन अमेठी एके-203 राइफलों से आतंकियों और नक्सलियों से निपटने में बड़ी मदद मिलेगी। इस अत्याधुनिक राइफल का इस्तेमाल सैनिक मुठभेडों में कर सकेंगे जिससे उनका हौसला भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह ऑर्डिनेंस फैक्ट्री देश के विकास और सुरक्षा के लिए नया रास्ता खोलने का काम करेगी। इस फैक्ट्री में हर साल 75 हजार एके-203 राइफल बनाई जाएंगी। इनकी सप्लाई देश और देश के बाहर होगी।

ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में 7 लाख से ज्यादा राइफलों का होगा निर्माण

अमेठी की नई आॅर्डिनेंस फैक्ट्री में 7.5 लाख एके-203 राइफलों का निर्माण होगा। भारत और रूस अपने संयुक्त उपक्रम के तहत इन राइफल्स का निर्माण करेंगे। एके-203 राइफल पर आयुध निर्माणी बोर्ड यानी ओएफबी और रूस की कंपनी कंसर्न कलाश्निकोव के बीच रक्षा सौदे पर करार हुआ है। ओएफबी के उपमहानिदेशक गगन चतुर्वेदी के अनुसार, यह ब्रह्मोस की तरह का संयुक्त उपक्रम मॉडल है। यहां न सिर्फ राइफलों को बनाया जाएगा, बल्कि भारत से इनका निर्यात भी किया जाएगा। ये एके-203 राइफल्स पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में ही बनाई जाएंगी। इस रक्षा सौदे के तहत ओएफबी के पास 50.5 फीसदी शेयर, जबकि रूस की कंपनी कलाश्निकोव के पास 49.5 फीसदी शेयर होंगे।

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भारतीय सेना अब इंसास की जगह एके-203 राइफल का करेगी इस्तेमाल

इंडियन आर्मी फिलहाल इंसास यानी इंडिया स्मॉल आर्म्स सिस्टम जैसी राइफलों का इस्तेमाल कर रही हैं। विश्व के कई विकसित देशों में इस्तेमाल की जा रही राइफल्स की तुलना में इंसास काफी पीछे हैं। ऐसे में इसे आधुनिक और उन्नत तकनीक वाली राइफल से बदलना जरूरी समझा जा रहा था। भारतीय सेना को अब एके-203 असॉल्ट राइफल मिलने से उसकी ताकत में इजाफा होगा। एडवांस्ड टेक्निक होने से किसी भी ऑपरेशन में जवान इसका आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। यह दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देने में कारगर साबित होगी।

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एके-47 राइफल के सबसे नवीनतम संस्करणों में से एक है एके-203

विश्व प्रसिद्ध एके-47 राइफल निर्माता रूसी कंपनी की यह सबसे नवीनतम असॉल्ट राइफल में से एक है। यह कंपनी एके-203 राइफल से आगे एके-204 और एके-205 का निर्माण कर चुकी है। लेकिन फिलहाल भारत में एके-203 राइफल का निर्माण होगा। एके-203 का मैकेनिज्म एके-47 राइफल की तरह ही है, लेकिन नई राइफल एके-47 की तुलना में ज्यादा सटीक मारक क्षमता वाली होगी। नई असॉल्ट राइफल में एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टम होंगे। इस सुविधा के तहत एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से लगातार गोलियों की बारिश की जा सकती है। यह राइफल खासतौर पर रात में होने वाले सैन्य ऑपरेशन में भी काफी कारगर साबित होगी।

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ये खासियतें बनाती हैं एके-203 राइफल को खास

इस 7.62 एमएम की एके-203 राइफल की लंबाई 3.25 फुट है। इससे एक मिनट में 600 गोलियां दागी जा सकती हैं। इसकी मारक क्षमता 400 मीटर है जिससे बड़ी आसानी के साथ अचूक निशाना लगाए जा सकते हैं। गोलियों से भरी राइफल का वजन मात्र 4 किलोग्राम होगा। यह वजन में बेहद हल्की राइफल है। इसलिए इसे कैरी करने में आसानी रहती है। गौरतलब है कि रूस ने 10 साल पहले भी भारतीय सेना के लिए एके-47 राइफल के अपग्रेड वर्जन की पेशकश की थी। तब दोनों देशों के बीच एके-103 राइफल पर चर्चा भी हुई थी, लेकिन किसी कारणवश करार नहीं हो सका था। अब भारत सरकार और रूस के बीच एके राइफल के सबसे नवीनतम वर्जन में से एक एके-203 पर सहमति बनीं है।

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उल्लेखनीय है कि भारत ने इससे पहले अमेरिका से 72 हजार 400 असॉल्ट राइफलें खरीदने के लिए 700 करोड़ रुपए का करार किया। इसके तहत अमेरिका की हथियार निर्माता सिग सौयर कंपनी एक साल के भीतर भारत को 7.62 एमएम वाली राइफलें सौंपेगी। जिससे देश की सैन्य शक्ति को और अधिक मज़बूती मिलेगी।

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