एटीएस ने देवबंद से जैश के दो आतंकियों को किया गिरफ्तार, जानिये.. क्या होती है एटीएस पुलिस?

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हाल में हुए पुलवामा हमले के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियां और ज्यादा सतर्क हो गई है। जम्मू-कश्मीर में पुलवामा जिले के अवंतीपोरा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। सीआरपीएफ से हुई इस बड़ी चूक के बाद सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल उठाए गए थे। इसके बाद से घाटी में सेना के अभियान में तेजी आई है। वहीं, सुरक्षा एजेंसियां भी अब आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों पर पूरी नज़र लगाए बैठी है। खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर उत्तर प्रदेश एटीएस को बड़ी कामयाबी मिली है। यूपी एटीएस ने सहारनपुर जिले के देवबंद से जैश-ए-मोहम्मद के दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है।

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कश्मीर से हैं दोनों आतंकी, हथियार और कारतूस भी बरामद

खुफिया जानकारी के बाद गुरुवार देर रात यूपी एटीएस ने देवबंद में ईदगाह के निकट एक प्राइवेट हॉस्टल में दबीश दी। इसी हॉस्टल से जैश-ए-माेहम्मद के दो आतंकी गिरफ्तार किए गए हैं। दोनों ही आतंकी जम्मू-कश्मीर से हैं। इनमें से एक आकिब अहमद कश्मीर के पुलवामा और दूसरा शहनवाज अहमद तेली कुलगाम का रहना वाला है। ये दोनों जैश के लिए आतंकियों की भर्ती करते थे। जानकारी के अनुसार, इन दोनों के संदिग्ध आतंकियों के पास से दो हथियार और जिंदा कारतूस बरामद किए गए हैं। यूपी एटीएस ने ओडिशा और कश्मीर से देवबंद आए सात तलबाओं को हिरासत में लिया था। उनसे मिले इनपुट के आधार पर खानकाह इलाके में नाज़ मंजिल में छापेमारी की। नाज़ मंजिल एक प्राइवेट हॉस्टल है। बता दें, देवबंद में जो शिक्षा लेने के लिए आते हैं उन्हें तलबा कहा जाता है।

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शाहनवाज अहमद तेली को बताया जा रहा है ग्रेनेड का एक्सपर्ट

देवबंद से दो संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तार पर यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा, ‘खुफिया जानकारी के बाद कल सहारनपुर के देवबंद से हमारी एटीएस विंग ने दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है। डीजीपी सिंह ने कहा कि दोनों आतंकियों में से शाहनवाज अहमद तेली को ग्रेनेड का एक्सपर्ट कहा जा रहा है। हम उसे ट्रांजिट रिमांड में लेकर इस बात की जांच करेंगे कि वे कश्मीर से कब आए और कौन उनकी फंडिंग कर रहा था? इन्होंने कितने लोगों को जैश में भर्ती किया है? साथ ही, उनके निशाने पर क्या था? ये स्थानीय स्तर पर किन-किन लोगों के संपर्क में थे? इसकी भी जांच पड़ताल की जा रही है। डीजीपी ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर पुलिस के संपर्क में हैं। ये दोनों बिना किसी एडमिशन के हॉस्टल में रह रहे थे। इनके पास से दो पिस्टल और 30 जिंदा कारतूस बरामद किए गए हैं। कुछ वीडियाे और आतंकियों से चैट की जानकारी भी मिली है। सिंह ने कहा कि दोनों आतंकियों के पुलवामा हमले से जुड़े होने की भी जांच की जा रही है।

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1990 में स्थापित की गई थी एटीएस (ATS)

एटीएस यानी एंटी टेररिज्म स्कवाड (आतंकवाद निरोधक दस्ता) की स्थापना 1990 में महराष्ट्र में हुई थी। इसकी स्थापना का श्रेय मुंबई पुलिस के एडिशनल कमिश्नर आफताब अहमद को जाता है। वे ए.ए. खान के नाम से मशहूर है। बताया जाता है कि ए.ए. खान लॉस एजेंल्स पुलिस विभाग की स्पेशल वेपन्स एंड टेक्टिक्स टीम (SWAT) जो मॉडर्न टेररिज्म से निपटने के लिए बनाई गई थी, उससे प्रभावित थे। इसी को देखते हुए उन्होंने एटीएस की स्थापना के बारे में सोचा था। एटीएस की स्थापना के बाद मुंबई में क्राइम में 70 फीसदी की गिरावट आई है। मुंबई एटीएस ने कई आॅपरेशंस को अंजाम दिया है उसमें से एक शूट आउट एट लोखंडवाला है।

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एंटी टेररिज्म स्कवाड एक स्पेशल पुलिस फोर्स (विशेष पुलिस बल) है जो फिलहाल भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान राज्य में एक्टिव है। महाराष्ट्र में इसका नेतृत्व भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी करते हैं। एटीएस ने अब तक देश को कई आतंकवादी हमलों से बचाया है। एटीएस सेंट्रल इंर्फोमेशन एजेंसीज जैसे आईबी और रॉ के साथ सूचना शेयर करती है। साथ ही राज्यों में समान स्तर की एजेंसीज के साथ भी कोआॅर्डिनेट करती है।

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1990 में इसकी स्थापना के बाद से एटीएस आॅफिसर अब तक 23 गैलेंट्री अवार्ड जीत चुके हैं। 26 नवम्बर, 2008 को मुंबई में आतंकी हमले में मुंबई एटीएस का बड़ा योगदान रहा था। मुंबई एटीएस ने पांच सितारा होटल ताज और ओबेरॉय ट्राइडेंट में लोगों को आतंकियों से बचाने के लिए आॅपरेशन चलाया था। इस दौरान आतंकियों से लौहा लेते हुए एटीएस चीफ हेमंत करकरे शहीद हो गए थे।

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