समय के साथ जब जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं तो आप अपनी एक छोटी-सी दुनिया में बंध जाते हैं। आप घड़ी की सुईयों की तरह चलने लग जाते हैं। हर मिनट का हिसाब रखने लगते हैं, कभी तनाव लेते हैं, कभी देते हैं, कभी परेशान होते हैं, कभी निराश होते हैं, कभी हंस भी लेते हैं, कभी जिंदगी को भला बुरा कहने लगते हैं और फिर वापस उसी दुनिया में खो जाते हैं। आपने भी कभी फील किया होगा कि जिंदगी में कहीं स्पार्क नहीं है। जिंदगी बोरिंग हो रही है। ऐसा क्यों हो रहा है? इसका कभी विश्लेषण किया? यदि दिल से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि असल में आपने खुद के लिए जीना छोड़ दिया है। आपने जिंदगी को इस कदर उलझा लिया है या फिर इतना उलझ गए हैं कि जीना क्या होता है यह भूल ही गए हैं। वैसे आपको एक बात बताऊं जीवन जीना भी एक कला है और इसके लिए आपके अंदर कलाकार वाले गुण होने चाहिए। ऐसा कलाकार जो खुशियों के रास्ते तलाश सके और मौका आने पर दिल खोलकर जिंदगी का स्वागत कर सके। आपने कई लोगों को देखा होगा जो हमेशा हंसते मुस्कुराते नजर आते हैं। ये लोग ही वे कलाकार हैं जो जानते हैं कि खुद को कैसे खुश रखना है और अपने लिए कैसे समय निकालना है।
बचपन में तो आप इतना उलझे हुए नहीं रहते थे क्योंकि तब आप अपने मन की कर लिया करते थे। अब आपको किसने रोका है? जो आप अपने मन की करने का सोचते ही नहीं। क्यों आप पार्क में खेलने नहीं जाते, क्यों आप साइकिल लेकर घूमने निकलते नहीं, क्यों आप दोस्तों की गैंग से मिलते नहीं, क्यों अपने पुराने कलर और ब्रश को निकालते नहीं, क्यों कैमरे का एंगल फिर से सेट करते नहीं, क्यों अपना पंसदीदा गाना बजाकर थिरकते नहीं, क्यों अपनी आवाज का जादू बिखेरते नहीं, क्यों डायरी के पन्नों को फिर से रंगते नहीं, क्यों क्रिकेट बैट की धूल झाड़ते नहीं, क्यों पुराने गिटार पर नई धुन छेड़ते नहीं….उफ्फ…और भी ना जाने क्या क्या…ये लिस्ट कभी खत्म नहीं होगी। कुछ खत्म हो गया है तो वह है आपके अंदर का उत्साह, जो आपको उदासीन जिंदगी दे रहा है। खुद के साथ इतनी ना इंसाफी मत कीजिए। जरा, खुद के लिए टाइम निकालने की कोशिश भी करिए। जिंदगी में सबके लिए सोचिए लेकिन थोड़ा सा अपने लिए भी सोच लीजिए। दिन में सिर्फ आधा घंटा खुद के लिए दे दीजिए, बहुत सुकून मिलेगा। तो देर मत कीजिए जिंदगी को समझिए और आज से ही अपने लिए सोचना शुरू कर दीजिए…।