ट्रंप प्रशासन ने कुछ चीनी छात्रों के अमेरिका में प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध

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कोरोना वायरस चीन से शुरू होकर दुनिया के ज्यादातर देशों में फैला और एक वैश्विक महामारी का रूप धारण कर लिया। चीन ने समय रहते दुनिया को इस खतरनाक वायरस के बारे में नहीं चेताया था, जिसके कारण अब तक इससे लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। चीन के इस झूठ को लेकर अमेरिका और चीन के राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों में खटास बढ़ती जा रही है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति, हांगकांग में बीजिंग की कार्रवाई और विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को लेकर अमेरिका और चीन में अब आमने-सामने आ गए हैं। इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कई बड़े फैसले किए।

यूएस के ट्रंप प्रशासन ने अब चीन के कुछ छात्रों को देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। अमेरिका ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबंध रखने वाले चीन के कुछ छात्रों और शोधकर्ताओं के देश में प्रवेश पर रोक लगाने की घोषणा की है। दरअसल, अमेरिका से बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी हासिल करने के लिए स्नातक छात्रों का इस्तेमाल करने की चीन की कोशिशों को खत्म करने के लिए ट्रंप प्रशासन ने यह कदम उठाया है।

चीन की गतिविधि अमेरिकी लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा करते हुए कहा कि चीन ने अपनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए के आधुनिकीकरण के लिए संवदेनशील अमेरिकी प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक संपदा को हासिल करने के लिए व्यापक अभियान चलाया हुआ है। उन्होंने कहा कि चीन की यह गतिविधि अमेरिका की दीर्घकालीन आर्थिक शक्ति और अमेरिकी लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा नज़र आ रहा है।

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राष्ट्रपति ट्रंप ने आरोप लगाते हुए कहा कि चीन अपने कुछ छात्रों ज्यादातर परास्नातक और शोधकर्ताओं का इस्तेमाल बौद्धिक संपदा को एकत्रित करने के लिए करता है। इसलिए पीएलए से जुड़े चीनी छात्रों या शोधकर्ताओं के चीनी अधिकारियों के हाथों इस्तेमाल होने का अधिक जोखिम है और यह यूएस के लिए चिंता का सबब है। ‘इसे देखते हुए मैंने फैसला किया है कि अमेरिका में पढ़ाई या शोध करने के लिए ‘एफ’ या ‘जे’ वीजा मांगने वाले कुछ चीनी नागरिकों का प्रवेश अमेरिका के हितों के लिए घातक साबित होगा।’

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