ट्रिपल तलाक बिल पर आज राज्यसभा में चर्चा हो रही है। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान इस बिल को राज्यसभा में मंजूरी नहीं मिल पाई थी। ट्रिपल तलाक बिल अचानक दिए जाने वाले ट्रिपल तलाक को एक अपराध मानता है जिसके लिए मुस्लिम पुरूष के लिए जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है।
एक बार राज्यसभा में यह बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति द्वारा सहमति मिलते ही यह कानून बन जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार दे दिया है।
पिछली मोदी सरकार द्वारा दिसंबर 2017 में लोकसभा में पेश किए जाने के बाद से ही ट्रिपल तलाक बिल विवादों में फंसा हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में आम सहमति के लिए एक मजबूत पिच बनाई थी, लेकिन विपक्षी दल जैसे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआईएमआईएम, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने राज्यसभा में किसी तरह बिल को रोक दिया, जहां सत्ताधारी एनडीए बहुमत नहीं मिल पाया।
ट्रिपल तलाक बिल में क्या है?
ट्रिपल तलाक बिल, लिखित, एसएमएस या व्हाट्सएप या किसी भी अन्य इलेक्ट्रॉनिक चैट के जरिए तलाक-ए-बिद्दत की घोषणा करने को अवैध बनाता है। तलाक-ए-बिद्दत का मतलब है कि कोई मुस्लिम पुरूष तीन बार अपनी पत्नी को तलाक कहकर अलग होने को कहता है, जिसके बाद तत्काल और अपरिवर्तनीय तलाक हो जाता है।
ट्रिपल तलाक बिल तल्ख-ए-बिद्दत को भी एक अपराध के रूप में घोषित करता है, जहां एक पुलिस अधिकारी बिना किसी वारंट के अपराधी को गिरफ्तार कर सकता है।
इसका दुरुपयोग ना हों इसके लिए बिल में कहा गया है कि ट्रिपल तलाक बिल के मुताबिक अगर शिकायत पीड़ित महिला या उसके किसी भी खून के रिश्तेदार द्वारा होगी तभी मानी जाएगी।
वहीं ट्रिपल तलाक देने वाले मुस्लिम पुरूष के लिए 3 साल की जेल की सजा होगी। ट्रिपल तलाक बिल के तहत आरोपी जमानत का हकदार है, जो मजिस्ट्रेट देंगे, लेकिन मजिस्ट्रेट द्वारा पीड़ित महिला की बात सुनने के बाद ही जमानत दी जा सकती है।
इसके अलावा ट्रिपल तलाक बिल निकाह हलाला की प्रक्रिया से गुजरे बिना सुलह की गुंजाइश देता है, अगर दोनों पक्ष कानूनी कार्यवाही को रोकने और विवाद को सुलझाने के लिए सहमत होते हैं।
निकाह हलाला का मतलब है जिसके तहत एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला को किसी दूसरे पुरुष से निकाह करना चाहिए और फिर तलाक लेना चाहिए। तभी वह अपने पहले वाले पति से दोबारा शादी करने लायक हो सकती है।
तलाक-ए-बिद्दत के जरिए तलाक लेने वाली महिला ट्रिपल तलाक बिल के तहत उसके और अपने बच्चों के लिए रखरखाव की मांग करने की हकदार भी है। वहीं ट्रिपल तलाक बिल के तहत, तलाकशुदा मुस्लिम महिला नाबालिग बच्चों की कस्टडी पाने की हकदार भी होगी।