वर्ष 2019 के शांति नोबेल पुरस्कार इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली को देने की घोषणा की गई है। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करने, विशेषकर अपने पड़ोसी देश इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को शांति पूर्ण तरीके से हल करने के प्रयासों को प्रदान किया गया है। शांति नोबेल पुरस्कार की घोषणा नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में की जाती है।
शांति पुरस्कारों की घोषणा से पहले दुनिया के कई चर्चित चेहरों के नामों पर जोरदार चर्चा चल रही थी। जिनमें हाल में संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरणीय मुद्दे पर दुनिया के नेताओं को लताड़ने वाली 16 वर्षीय स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग का नाम भी शामिल था। वहीं इस सूची में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और हांगकांग में कार्यकर्ताओं का नाम भी शामिल थे।
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The Norwegian Nobel Committee has decided to award the Nobel Peace Prize for 2019 to Ethiopian Prime Minister Abiy Ahmed Ali.#NobelPrize #NobelPeacePrize pic.twitter.com/uGRpZJHk1B— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 11, 2019
इथियोपिया के नेल्सन मंडेला कहे जाते हैं अबी अहमद
अफ्रीका महाद्वीपीय देश इथियोपिया दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। 43 वर्षीय अबी अहमद अली अप्रैल, 2018 को देश के प्रधानमंत्री बने। वह अफ्रीकी देशों में सबसे युवा राष्ट्राध्यक्ष बने। उन्हें ‘इथियोपिया का नेल्सन मंडेला’ भी कहा जाता है। वह बचपन में नेल्सन मंडेला के बड़े प्रशंसक हैं और अक्सर उनकी फोटो वाली टी—शर्ट पहना करते थे।
उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इथियोपिया के संबंध अन्य देशों के साथ सुधरे हैं। उन्होंने बड़े पैमाने पर उदारीकरण की शुरुआत की। इथियोपिया अफ्रीका का दूसरा सबसे घनी आबादी वाला देश है और पूर्वी अफ्रीका का सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।
अबी ने किए शांति के लिए प्रयास
जब से वह इथियोपिया के पीएम बने तब से ही उन्होंने देश की आंतरिक स्थिति में सुधार के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय संबंध सुधारे। उसने इरिट्रिया के साथ शांति वार्ता को जारी रखी और उन्होंने इरिट्रिया के राष्ट्रपति इसाइस अफवर्की के साथ शांति पर लगातार चर्चा की और नो पीस, नो वार सिद्धांत पर समझौता किया।
उन्होंने पीएम बनते ही 100 दिन के भीतर ही देश से इमरजेंसी हटा दी। मीडिया पर से सेंसरशिप हटाने का फैसला किया। यही नहीं अबी ने हजारों विपक्षी कार्यकर्ताओं को जेलों से रिहा कर दिया। जो असंतुष्ट नेता और कार्यकर्ता देश से निर्वासित किए गए थे उन्हें लौटने की इजाजत दी।