रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर पद से विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे से आरबीआई को दूसरा बड़ा झटका लगा जब सात माह के भीतर कोई बड़ा अधिकारी अपने पद से इस्तीफा दे रहा हैं। उनसे पूर्व आरबीआई के गवर्नर पद से उर्जित पटेल ने इस्तीफा दिया था। वह आरबीआई में उर्जित पटेल की टीम के भरोसेमंद सदस्यों में शामिल रहे हैं। खबरों के अनुसार, विरल आचार्य अब न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेटर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में बतौर प्रोफेसर शिक्षण का कार्य करेंगे। उन्होंने 23 जनवरी, 2017 को तीन साल के लिए डिप्टी गवर्नर का पदभार ग्रहण किया था।
ऐसा नहीं विरल पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने मोदी सरकार में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले पद से इस्तीफा दिया है, बल्कि उनसे पहले पिछले पांच वर्षों में अहम पदों पर रहे आठ लोग इस्तीफा दे चुके हैं। कुछ ने सरकार से टकराव के कारण अपने पद से इस्तीफा दिया तो कुछ ने निजी कारणों की वजह से। इस वर्ष जनवरी माह में जब राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने सर्वे को लेकर मतभेद पर इस्तीफा दिया था तो मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे राजनीतिक वजह करार दिया था।
तो आइए जानते हैं उन लोगों के बारे में जो मोदी सरकार में अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं-
अरविंद पनगढ़िया
नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया ने जून, 2017 में पद से इस्तीफा दे दिया था। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री पनगढ़िया को मोदी सरकार में जनवरी, 2015 में नीति आयोग का पहला उपाध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने इस्तीफे के पीछे कोलंबिया यूनिवर्सिटी में नौकरी को वजह बताई थी।
सुरजीत भल्ला
सुरजीत भल्ला जाने माने अर्थशास्त्री और अखबारों में कॉलम लिखने के लिए प्रसिद्ध थे, वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद में पार्ट—टाइम सदस्य थे। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में अपने पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने अपना पद छोड़ने की जानकारी ट्विटर के माध्यम से देते हुए कहा था, ‘पीएमईएसी की पार्ट-टाइम सदस्यता से मैंने एक दिसंबर को इस्तीफा दे दिया है।’
अरविंद सुब्रमण्यन
भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने जून 2018 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे से पहले ही केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर एक पोस्ट के माध्यम से इसकी जानकारी देते हुए लिखा था कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने पारिवारिक कारणों के चलते अमेरिका लौटने का निर्णय किया है, और उनके पास अरविंद सुब्रमण्यन की बात मान लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है। वहीं सुब्रमण्यन ने पद छोड़ते वक्त अरुण जेटली को ड्रीम बॉस बताया था।
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उर्जित पटेल
4 सितंबर, 2016 को उर्जित पटेल ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 24वें गवर्नर के रूप में पदभार संभाला था। इनके समय में नोटबंदी जैसे कड़े फैसले लिए गए थे। उन्होंने निजी कारणों से 10 दिसंबर, 2018 को इस पद से इस्तीफा दे दिया, जबकि उनका कार्यकाल सितंबर, 2019 को पूरा होने वाला था। आरबीआई के कोष और इसकी स्वायत्तता को लेकर सरकार से जारी गतिरोध के चलते उर्जित पटेल के इस्तीफा देने की खबरें आईं थीं।
विजयलक्ष्मी जोशी
वर्ष 2015 के सितंबर माह में जब स्वच्छ भारत अभियान को एक साल पूरा होने वाला था, तभी अभियान की प्रमुख विजय लक्ष्मी जोशी ने अपने इस्तीफा दे कर सबको चौंका दिया। हालांकि उन्होंने अपने इस्तीफे के पीछे निजी कारणों का हवाला दिया। परंतु खबरों की मानें तो जोशी बिना उचित सलाह—मशवरे के तय किए जा रहे लक्ष्यों और इस मिशन को लेकर स्पष्टता न होने से नाराज थी। मिशन से जुड़ने से पूर्व विजय लक्ष्मी पंचायती राज मंत्रालय में सेक्रेटरी थी। वह वर्ष 1980 में गुजरात काडर से आईएएस बनी और केंद्र सरकार से सेवा पूरी होने के तीन साल पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।
सांख्यिकी आयोग के इन सदस्यों ने भी छोड़ा पद
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो स्वतंत्र सदस्यों पीसी मोहनन और जेवी मीनाक्षी ने इस साल जनवरी में इस्तीफा दिया था। दोनों सदस्यों के इस्तीफे के पीछे लेबर फोर्स सर्वे में देरी और जीडीपी के बैक-सीरीज आंकड़ों पर असहमति को कारण बताया गया।