आज राजस्थान और मध्यप्रदेश को अपना अपना मुख्यमंत्री मिल ही गया। जहां सोमवार सुबह राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत ने शपथ ली तो वहीं दोपहर में मध्यप्रदेश को कमलनाथ के रूप में शपथ दिलाई गई। कांग्रेस ने दोनों जगह भव्य समारोह आयोजित किया जहां कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के दिग्गज नेता भी कार्यक्रम में शामिल होने राजस्थान और मध्यप्रदेश पहुंचे। दोनों ही कार्यक्रमों में एक बात बेहद खास दिखी और वो ये कि आज से पहले एक दूसरे पर अनरर्गल और बेतुके बयान देने वाले भाजपा और कांग्रेस के नेता शपथ ग्रहण समारोह में गर्मजोशी के साथ मिले।
जयपुर के अल्बर्ट हॉल म्यूजियम के सामने आयोजित हुए समारोह में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शपथ लेने वाले अशोक गहलोत के साथ आराम से बतियाती नजर आई तो वहीं सचिन पायलट ने भी वसुंधरा राजे से हंसकर हाथ मिलाया। राजे ने गहलोत को ट्विटर पर बधाई दी जिसके बाद उन्होनें भी शिष्टाचार दिखाते हुए उनके ट्वीट का जवाब दिया वहीं पीएम मोदी ने भी गहलोत को ट्वीट के माध्यम से बधाई दी है।
Thank you Smt. @VasundharaBJP ji for your goodwishes.. https://t.co/eOjsWPgCjY
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 17, 2018
Thank you Shri @narendramodi ji for your goodwishes.. https://t.co/xL2zsV2fgx
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 17, 2018
इधर मध्यप्रदेश में कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंच पर जब पहुंचे तो कांग्रेस नेताओं ने उन्हें बीच में लाकर उनके दोनों हाथों को उठाते हुए जनता का अभिवादन किया। बता दें कि चुनावों से पहले ये लोग ही आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करते आए थे जिसमें कई बार विवादित बयान भी दिए गए।
अशोक गहलोत द्वारा वसुंधरा राजे पर की गई टिप्पणी काफी चर्चाओं में रही थी जिसमें गहलोत ने कहा था कि वसुंधरा राजे अमित शाह के आगे इतना क्यों झुकती है तो वहीं सचिन पायलट भी उन्हें बार बार ‘महारानी’ बोलकर संबोधित करते आए हैं। नेताओं के ऐसे बयान आने के बाद आम जनता भी दो गुटों में कभी कभी बंटती नजर आती है जहां वो अपना अपना नजरिया सोशल मीडिया के माध्यम से पेश करती है। तस्वीरें देखने के बाद लोगों को भारतीय राजनीति का असली चेहरा भी समझ लेना चाहिए कि कुर्सी के इस खेल में जब तक अपना मकसद पूरा नहीं हो जाता पार्टियों के लिए मान मर्यादा जैसे शब्द मायने नहीं रखते हैं और जब हार और जीत का फैसला हो जाता है उसके बाद राजनीति की ही जीत होती है जिसका सभी लोग जश्न मनाने एकसाथ मंच पर उतर आते हैं।