भारत के इस राज्य में जाने के लिए भारतीयों को भी लगाना पड़ता है ‘वीजा’ !

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अगर आपसे हम कहें कि वीजा की जरूरत विदेश जाने के लिए ही नहीं बल्कि भारत में घूमने के लिए भी होती है। आपको हमारी बात पर यकीन नहीं होगा क्योंकि हमने यही सुना है कि विदेश जाना है तो वीजा लगेगा, लेकिन देश में नागालैंड एक ऐसी जगह है जहां एक खास तरह के वीजा बिना आप नहीं घुस सकते हैं।

हालांकि ये वीजा से काफी अलग होता है और इसे इनर लाइन परमिट कहते हैं। नागालैंड में केवल वहां के स्थानीय लोग ही इस परमिट के बिना जा सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में भी कुछ समय के लिए ऐसी ही व्यवस्था थी लेकिन श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आंदोलन की बदौलत कुछ सालों बाद यह व्यवस्था खत्म हो गई।

इस परमिट पर हाल में चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि कुछ दिन पहले बीजेपी नेता अश्निनी उपाध्याय ने इस मसले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया। जिसके बाद सरकार की तरफ से कहा गया कि भारत के लोगों को अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और दीमापुर को छोड़कर नगालैंड में जाने के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है और इस पर हम आगे विचार कर रहे हैं।

क्या होता है इनर लाइन परमिट?

बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्यूलेशन्स, 1873 के तहत किसी संरक्षित, प्रतिबंधित क्षेत्र में दाखिल होने के लिए सीमित समय की अनुमति दी जाती है। इकलौते नागालैंड में ही फिलहाल यह व्यवस्था लागू है।

क्या है इसका इतिहास?

ऐसा कहा जाता है कि जब भारत ब्रिटिशों की गुलामी में था तब इनर लाइन परमिट सिस्टम लाया गया था। नागालैंड क्षेत्र हमेशा से ही जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक औषधियों का भंडार रहा है। ब्रिटिश चाहते थे कि इन औषधियों पर कोई और कब्जा ना कर सकें इसके लिए उन्होंने बाहर से आने वालों के लिए इनर लाइन परमिट लागू किया।

अंग्रेजों के जाने के बाद भारतीय सरकार ने माना कि नागा आदिवासी भारत के अन्य हिस्सों के लोगों से एकदम अलग है। उनका रहन-सहन, कला संस्कृति, बोलचाल सबकुछ अलग है। इसे सहेजे रखने के लिए इनर लाइन परमिट आज के समय में भी जरूरी है।

हालांकि इनर लाइन परमिट को लेकर कई बार विरोध की आवाजें उठ चुकी है। सुप्रीम कोर्ट में हाल में लगाई गई याचिका में आईएलपी व्यवस्था को खत्म करने का कहा गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस तरह की याचिका को हर बार खारिज कर चुका है।

नागालैंड क्यों है इतना खास ?

नागालैंड पूर्व में म्‍यांमार, उत्‍तर में अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर से घिरा राज्य है, जो 1 दिसंबर, 1963 को भारतीय संघ का 16वां राज्‍य बना। 19वीं शताब्‍दी में अंग्रेजों के आने पर इस क्षेत्र पर ब्रिटिशों का कब्जा हो गया था जिसके बाद 1957 में इसे केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।

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