बजट सत्र में इनहेरिटेंस टैक्स को लागू करने की संभावना, जानिए क्या है यह टैक्स

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केन्द्र में दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार 2.0 का पहला आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को पेश करेंगी। इस बजट में भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए वित्त मंत्री कई प्रमुख घोषणाएं कर सकती है। इस बजट में चर्चा है कि एस्टेट ड्यूटी या इनहेरिटेंस टैक्स को एक बार फिर से लागू किया जा सकता है। इस टैक्स को लेकर जहां अर्थशास्त्रियों का मत है कि इससे सामाजिक विषमता कम होगी, तो वहीं विपक्ष को इसे लागू करने पर एतराज हो रहा है।

हाल में जारी आंकड़ों के अुनसार पिछले दो महीनों में जीएसटी कलेक्शन औसतन करीब 14,000 करोड़ महीने कम हो गया है। वित्त मंत्रालय की दी जानकारी के अनुसार अप्रैल 2019 में कुल जीएसटी कलेक्शन 1,13,865 करोड़ रुपए था, जो घटकर मई 2019 में 1,00,289 करोड़ रुपए और जून 2019 में 99,939 करोड़ रुपए रह गया है। खबरों के मुताबिक सरकार अब एक बार फिर नए निवेश के लिए ज़रूरी संसाधन जुटाने के रास्ते खोज रही है और एस्टेट ड्यूटी या इनहेरिटेंस टैक्स फिर से लागू करने पर विचार कर रही है। ये टैक्स दरअसल पैतृक संपत्ति पर लिया जाएगा। इसे वर्ष 1985 में खत्म कर दिया गया था।

इस पुराने टैक्स के मुद्दे पर नीति आयोग में जमीन मामलों के अध्यक्ष टी हक ने कहा कि अभी भी देश के एक फीसदी लोगों के पास कुल संपत्ति का 58 प्रतिशत पर नियंत्रण है। ऐसे लोगों पर इनहेरिटेंस टैक्स लगाना चाहिए। भारत में टैक्स-जीडीपी अनुपात कम है, इसे बढ़ाना आवश्यक है। इससे भारत में सामाजिक असमानता को कम करने में मदद मिलेगी।

एसोचैम के सहायक सचिव जनरल संजय शर्मा का कहना है कि हमें यकीन है कि वित्त मंत्रालय सभी हितधारकों से सलाह-मशविरा करके ही इसका प्रस्ताव तैयार कर रही है। हालांकि अब सवाल इस बात का है कि अगर इस प्रस्ताव को बजट में शामिल कर लिया जाता है तो क्या विपक्ष इसे अपनी मंजूरी देगा। विपक्ष के कुछ सांसद इसे लेकर यह तर्क देते हैं कि जो टैक्स 1985 में खत्म किया जा चुका है, उसे 34 साल बाद फिर लागू करना गलत होगा। सरकार को टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए नए विकल्पों पर विचार करना चाहिए ना कि नए टैक्स लगाकर।

क्या है इनहेरिटेंस टैक्स

इनहेरिटेंस टैक्स को पहले एस्टेट ड्यूटी के नाम से भी जाना जाता था। इस टैक्स को किसी व्यक्ति की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी को मिलने वाली मुख्य संपत्ति पर वसूला जाता था। मुख्य संपत्ति मृत व्यक्ति की वह संपत्ति होती थी जिसे उसके जीवित रहते बाजार में बेचा जा सकता हो। इससे पूर्व देश में वर्ष 1953 से 1986 तक उत्तराधिकार कर लागू था, जिसे बाद में राजीव गांधी सरकार ने खत्म कर दिया।

इनहेरिटेंस टैक्स की दर पांच प्रतिशत से लेकर दस प्रतिशत तक हो सकती है। इसको लेकर यह भी कहा जा रहा है कि अगर यह टैक्स देश में लागू हुआ तो फैमिली ट्रस्ट इसके दायरे से बाहर होंगे। यही वजह है कि उत्तराधिकार टैक्स की वापसी की सुगबुगाहट के बीच हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) फैमिली ट्रस्ट बनाकर अपनी संपत्ति बचाने में लग गए।

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